Tirandaj Desk। महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक और दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पार्कर के बीच 55 लाख रुपये का लेन-देन हुआ था। यह खुलासा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विशेष अदालत के सामने किया है। ईडी ने स्पष्ट किया कि पहली हिरासत अर्जी में टाइपिंग में गलती होने की वजह से राशि 15 लाख रुपए लिखी गई थी। ईडी के चूक स्वीकार कर लेने के बाद अदालत ने मलिक की हिरासत सात मार्च तक बढ़ा दी है।
ईडी की दूसरी हिरासत अर्जी के अनुसार, आरोपित की गिरफ्तारी समेत मामले की पृष्ठभूमि पहली हिरासत अर्जी में पेश की गई थी। उसे कृपया वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पढ़ा जाए। पहले की हिरासत अर्जी में टाइप होने में चूक हुई और 15 लाख रुपए की जगह 55 लाख रुपए के रूप में पढ़ा जाना चाहिए।
मलिक की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील अमित देसाई ने कहा कि इससे अदालत की चेतना को गहरा आघात लग सकता है। एजेंसी की ओर से पेश एएसजी अनिल सिंह ने कहा कि यह वास्तव में टाइपिंग की गलती थी और किसी ने ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि एक करोड़ रुपए आतंकी फंडिंग थी और यह आतंकी फंडिंग ही है।
प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट को यह भी बताया कि मलिक तीन-चार दिन के लिए अस्पताल में भर्ती रहे और हिरासत की महत्वपूर्ण अवधि बीत गई है। मंत्री से पूछताछ के लिए और समय की जरूरत है। बताते चलें कि नवाब मलिक को 23 फरवरी को दक्षिण मुंबई में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कार्यालय में करीब पांच घंटे तक पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया था।
उन्हें गुरुवार को प्रारंभिक रिमांड की समाप्ति पर विशेष अदालत के न्यायाधीश आरएन रोकाडे के समक्ष पेश किया गया था। अदालत ने मामले की आगे की जांच के लिए उनकी हिरासत सात मार्च तक बढ़ा दी।