भोपाल। कश्मीर में नरसंहार की पीड़ा दिखाने मध्य प्रदेश में जेनोसाइड म्यूजियम बनेगा। यहां नरसंहार पर संग्रहालय होगा। इसके लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री बात रखी थी। इस पर सीएम ने सहमति दे दी है।
सीएम जमीन से लेकर हर तरह की मदद करने को तैयार है। अगर सबकुछ इसी रफ्तार से चला तो कश्मीरी पंडितों के साथ जो कुछ भी हुआ है, वह दस्तावेज के तौर पर हमारे सामने होगा। तो क्या होगा यह जेनोसाइड म्यूजियम? क्या होगा इसमें और क्या मिल जाएगा इससे?
जानें क्या है जेनोसाइड म्यूजियम?
जेनोसाइड म्यूजियम भले ही भारत में नया और कम सुना जाने वाला शब्द है, हमारे यहां त्रासदियों पर संग्रहालय बने हैं। भोपाल गैस त्रासदी पर बना संग्रहालय इसकी मिसाल है। नरसंहारों पर बने संग्रहालयों को दुनियाभर में होलोकास्ट या जेनोसाइड म्यूजियम के तौर पर भी जाना जाता है।
जेनोसाइड पर 1948 में यूएन कन्वेंशन आया था
जेनोसाइड पर 1948 में यूएन कन्वेंशन आया था। यह कहता है कि अगर किसी राष्ट्रीय, एथनिक, नस्ल या धार्मिक समूह को पूरी तरह या आंशिक रूप से तबाह या नष्ट करने की मंशा के साथ कोई काम किया जाता है तो उसे जेनोसाइड कहते हैं। इसमें इन समूहों के लोगों की हत्या, समूह के सदस्यों को शारीरिक या मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाना, इन समूहों के बच्चों को जबरदस्ती दूसरे समूहों में शामिल करना शामिल है।
तो क्या होता है इन जेनोसाइड म्यूजियम में?
भले ही जेनोसाइड के नाम से न हो होलोकास्ट म्यूजियम दुनियाभर में बने हैं। हिटलर ने 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी थी। 1945 के बाद यहूदियों ने पिछली 15 शताब्दियों में यहूदियों के नरसंहारों पर रिसर्च की है। यह सिर्फ इतिहास की किताबों में नहीं है, बल्कि होलोकास्ट म्यूजियम के तौर पर इन्हें प्रदर्शित किया गया है। सबसे प्रसिद्ध होलोकास्ट म्यूजियम वॉशिंगटन डीसी में है। हमारे भारत में भी इजरायल ने बेंगलुरू में होलोकास्ट प्रोजेक्ट लॉन्च किया था।
तथ्य स्वीकार करना ही पड़ता है
यह कोई बदले की भावना से नहीं किया गया। आप देखेंगे कि इजरायल और जर्मनी आज बहुत अच्छे मित्र देश हैं। इसके बाद भी तथ्य तो तथ्य है। इसी वजह से आज के जर्मनी को दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान उठाए कदमों को स्वीकार करना ही पड़ता है।
ऐसा नहीं है कि हमारे यहां नरसंहार नहीं हुए, पर हमने कभी उन्हें रिकॉर्ड पर नहीं लाया। हिंदुकुश पर्वत को ही लीजिए। यात्री इब्नेबबूता के मुताबिक हिंदुकुश का नाम ही हिंदुओं के नरसंहार की वजह से पड़ा है। 1333 ईसवी में मुस्लिम कहानियों में इस पहाड़ी का नाम मिलता है। यहूदियों के होलोकास्ट को तो पता है पर हमें नहीं पता कि हिंदुकुश पहाड़ी पर कितने हिंदुओं की हत्या हुई थी। यह संख्या लाखों में हो सकती है।
एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका ने दिसंबर 1398 की घटना का उल्लेख करते हुए दावा किया कि तैमूर लंग ने दिल्ली के युद्ध से पहले 50 हजार बंदियों को मौत के घाट उतार दिया था। तैमूर की सेना ने कम से कम एक लाख हिंदुओं का नरसंहार किया है। चित्तोड़ युद्ध के बाद अकबर ने भी 30 हजार राजपूत हिंदुओं की हत्या का फरमान सुनाया था।
मध्य प्रदेश में बनने वाला जेनोसाइड म्यूजियम कैसा होगा?
अभी इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है। इस समय सिर्फ आइडिया स्तर पर इसे लिया गया है। इतना साफ है कि कश्मीरी पंडितों की संस्कृति, उनका समृद्ध इतिहास, नरसंहार के दृश्य एवं उसके बाद की परिस्थितियों पर तस्वीरें, फिल्में और वीडियो इसमें रखे जाएंगे। ताकि भारत के इतिहास की उस घटना से जुड़े तथ्यों को एक जगह प्रस्तुत किया जा सके।
दरअसल, 4 लाख से अधिक कश्मीरी पंडितों को घर छोड़ना पड़ा था। कई पंडित महिला-पुरुष और बच्चों की हत्या कर दी गई थी। सैकड़ों लोगों को अलग-अलग प्रांतों में राहत शिविरों में रहना पड़ा था। सैकड़ों की संख्या में मंदिर ध्वस्त किए गए। 900 से अधिक शैक्षणिक संगठनों को आतंकियों ने निशाना बनाया था। अस्पतालों तक को नहीं बख्शा गया था।
इस तरह के म्यूजियम का उद्देश्य क्या होता है?
दुनियाभर में जो होलोकास्ट म्यूजियम बने हैं, उनका उद्देश्य बदला लेना या भड़काना नहीं है। इनके जरिए सिर्फ अवेयरनेस लाई जाती है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कहा कि जेनोसाइड म्यूजियम लोगों की सोच बदलने का काम करेगा। उन्हें बताएगा कि क्या हुआ था। हम भी मानते हैं कि यह घृणा फैलाने के लिए नहीं है। सच्चाई सामने आए, ताकि फिर कोई और इलाका कश्मीर न बने। कश्मीरी पंडितों का दर्द दुनिया ने समझा है। संग्रहालय से बाहर निकले कोई व्यक्ति तो वह प्रेम का नया संसार रचने के लिए निकले। मामा इसमें आपके साथ है।
विवेक ने कहा कि म्यूजियम से लोगों को पता चलेगा कि अमानवीयता क्या होती है, यह पता चलेगा। जब कोई व्यक्ति संग्रहालय में जाएगा और जब बाहर निकलेगा, तब तक उसकी मनः स्थिति बदल चुकी होगी।
(TNS)