रायपुर। न्यायालय से निर्णय के बाद भी मीसा बंदियों को पेंशन नहीं देने के मामले पर सदन आज खूब गर्माया रहा। विधानसभा सत्र के दौरान शून्यकाल में बीजेपी विधायकों ने मीसा बंदियों को फिर से पेंशन देने का मुद्दा उठाया। बीजेपी विधायकों ने पेंशन बहाली पर स्थगन के जरिए चर्चा की मांग की। ऐसा नहीं करने पर सदन में विधायकों की नारेबाजी शुरू हो गई। हंगामें की वजह से सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित कर दी गई थी।
सदन में मीसा बंदियों को लेकर बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने कहा असहमति को कुचलकर आपातकाल लगाई गई। न्यायालय से जब फैसला हो चुका है फिर भी मीसा बंदियों को पेंशन का लाभ नहीं दिया जा रहा है। मांग की कि इस सदन में चर्चा हो जाए या सदन में सरकार की ओर से पेंशन फिर से शुरू करने की घोषणा होनी चाहिए।
सदन में बात रखते हुए बीजेपी विधायक सौरभ सिंह ने कहा बीजेपी सरकार ने मीसा बंदियों को पेंशन देने की शुरुआत की थी। राजनीतिक कारणों से उसे रोका गया है। उसे फिर से शुरू किया जाना चाहिए।
इस दौरान नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कांग्रेस नहीं होती तो आपातकाल नहीं लगता। लोकतंत्र सेनानी का सम्मान आपातकाल में जेल गए लोगों को दिया गया। सरकार की हठधर्मिता है कि कोर्ट के निर्णय के बावजूद सम्मान निधि उन्हें नहीं मिल रहा है।
क्या है मीसाबंदी
इसके बारे में प्रायः लोग नहीं जानते, खासकर युवा पीढ़ी। हम बताते हैं कि ये क्या मामला है- मीसा यानि आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम में आपातकाल के दौरान कई संशोधन किए गए। इंदिरा गांधी की निरंकुश सरकार ने इसके जरिए अपने राजनीतिक विरोधियों को कुचलने का काम किया। मीसा बंदियों से भरी जेलें मीसा और डीआरआई के तहत एक लाख से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया।
राजनीतिक विरोधियों को दबाने का था माध्यम
लगभग 45 वर्ष पूर्व 25-26 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाया था। इमरजेंसी का नाम आते ही मीसा की भी चर्चा होने लगती है। क्योंकि आपातकाल की घोषणा के तुरंत बाद से ही देश भर में मीसा कानून के तहत गिरफ्तारियां शुरू हो गई थीं। गिरफ्तार होने वालों में छात्रनेता, मजदूर नेता, प्राध्यापक, राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता विपक्षी दलों के नेता और इंदिरा गांधी की राजनीतिक आलोचना करने वाले शामिल थे। समाजवादी विचारधारा को मानने वाले छात्रों-नौजवानों की संख्या इसमें ज्यादा थी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विद्यार्थी परिषद, माकपा एवं एसएफआई से जुड़े लोगों पर भी मीसा का कहर बरपा गया।
(TNS)