तीरंदाज, भोपाल। तीन दिवसीय चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल का रविवार को समापन हुआ। इस मौके पर जहां विभिन्न कैटेगरी में अवार्ड दिए गए वहीं अभिनय पर केन्द्रित मास्टर क्लास भी हुई। कार्यक्रम के दौरान द कश्मीर फाइल्स की अभिनेत्री पल्लवी जोशी व निर्देशक विवेक अग्निहोत्री का सम्मान किया गया। समापन समारोह में विशेष रूप से केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री एल मुरुगन उपस्थित हुए।
इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत जहां एक तरफ निरंतर विकास कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ अपनी सभ्यता और संस्कृति की जड़ों की ओर भी लौट रहा है। अपनी संस्कृति को लोगों तक पहुंचाने के लिए आवश्यक है कि हम संस्कृति से जुड़ी कहानियां भी लोगों तक पहुंचाएं। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि चित्र भारती के माध्यम से इस तरह की फिल्में बनाई जा रही हैं।
विवेक अग्निहोत्री एवं पल्लवी जोशी का सम्मान
इस अवसर पर ‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्माता-निर्देशक विवेक अग्निहोत्री एवं पल्लवी जोशी का सम्मान किया गया। अभिनेत्री पल्लवी जोशी ने कहा कि चित्र भारती की ओर से सुझाये गए दो कलाकारों को अपनी अगली फिल्म में लेंगे और उन्हें एक-एक लाख रुपए भी दिया जाएगा। इस मौके पर प्रख्यात चरित्र अभिनेता मुकेश तिवारी ने कहा कि अपने सपनों पर यकीन रखें उन्हें साकार करने के लिए चित्र भारती का मंच आपके साथ है।

चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल
मास्टर क्लास में अभिनय पर हुई बातें
चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल में पांचवीं मास्टर क्लास ‘अभिनय’ पर केंद्रित रही। इसे मराठी सिनेमा के चर्चित निर्देशक-रंगकर्मी एवं पद्मश्री से सम्मानित वामन केंद्रे ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अमूर्त चरित्र को जिंदा कर लोगों तक पहुंचाने की प्रक्रिया ही अभिनय है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक नए इंसान को दर्शकों के सामने लाने को ही मैं अभिनय मानता हूं।

चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल
एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि हमें पाश्चात्य की ओर देखने की ज़रूरत नहीं है। हमारे पास कालिदास हैं, भरतमुनि हैं, भवभूति और रवींद्रनाथ टैगोर हैं। हमारे पास एक्टिंग, डायरेक्शन सभी की परंपरा है। यही हमारी अमीरी है। उन्होंने प्रशिक्षण के महत्व को समझाते हुए कहा कि अप्रशिक्षित अभिनेता अभिमन्यु की तरह होते हैं और चक्रव्यूह तोड़ने के लिए उन्हें प्रशिक्षण ज़रूरी है।
सिनेमा को समाधान ढूंढना चाहिए : अभिनव कश्यप
चित्र भारती फ़िल्म फेस्टिवल में आयोजित खुले मंच (ओपन फोरम) में सुप्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक अभिनव कश्यप ने युवा फिल्मकारों एवं विद्यार्थियों के साथ सिनेमा और उससे जुड़े पहलुओं पर संवाद किया। अपनी बात को शुरू करते हुए श्री कश्यप ने कहा कि वे फिल्म के पार्ट्स या सीक्वल बनाने में यकीन नहीं रखते। गन्ने की तरह बार-बार निचोड़कर रस निकालने की कोशिश की जाती है और पब्लिक से पैसा खींचा जाता है।
उन्होंने कहा कि फिल्मों का उद्देश्य समाधान देना होना चाहिए। हमारा कर्तव्य है कि हम युवा पीढ़ी का समर्थन दें और उन्हें नेतृत्व का अवसर दें। इस अवसर पर प्रख्यात अभिनेता डॉ. गजेंद्र चौहान ने भी अपने विचार रखे। निर्णायक मंडल के सदस्य योगेश सोमण ने कहा कि चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल में आई फिल्मों के विषय में नवीनता थी। भारतीय चित्र साधना और चित्र भारती फ़िल्म फेस्टिवल की जानकारी महासचिव अतुल गंगवार ने दी।
पांच श्रेणियों में मिले कुल 10 लाख के नगद पुरस्कार
चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल के चतुर्थ संस्करण में पांच विभिन्न श्रेणियों में कुल 10 लाख के नगद पुरस्कार भारतीय चित्र साधना की ओर से दिए गए। लघु फिल्म ‘छोटी सी बात’ एवं डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ‘भारत- प्रकृति का बालक’ के निर्माता क्रमशः कबीर शाह और दीपिका कोठारी को 1-1 लाख रुपए राशि के सबसे बड़े पुरस्कार दिए गए।
शॉर्ट फिल्म श्रेणी में मुकेश कुमार की फिल्म ‘ब्रूनो’ को द्वितीय और स्मिता भाटी की फ़िल्म ‘विसलिंग मशीन’ को तृतीय पुरस्कार दिया गया। इस श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ निर्देशन के लिए आनंद कुमार चौहान (वाशिंग मशीन), सर्वश्रेष्ठ पुरुष अभिनेता राज अर्जुन (पीलीभीत) और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री अश्विनी कसर (पाउली) को दिया गया। वहीं, हरि प्रसाद की फिल्म ‘अमेय’, विकास गौतगुटिया की फिल्म ‘अननॉन नंबर’ और जगन्नाथ बिस्वास की फिल्म ‘चुड़का मुर्मू’ का विशेष उल्लेख किया गया।
डॉक्यूमेंट्री फिल्म श्रेणी में मयंक सिंह की फिल्म ‘नानाजी का गांव’ को द्वितीय, सरमाया आर्ट फाउंडेशन की फिल्म ‘थोलु बोमलत्ता’ को तृतीय पुरस्कार दिया गया। जबकि तुषार अमरीष गोयल की फिल्म ‘द पोस्टर’, अक्षय गौरी की फिल्म ‘साइंस थ्रू प्ले’ और प्रज्ञा सिंह की फिल्म ‘सेरेंगसिया 1837’ का विशेष उल्लेख किया गया।
एनिमेशन श्रेणी में अशोक पटेल की फिल्म ‘द लास्ट होप’ को प्रथम, हरि प्रसाद की फिल्म ‘पावर ऑफ चेंज’ को द्वितीय और धीरेंद्र पखुरिया की फिल्म ‘हग ऑफ लाइफ’ को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। कैंपस नॉन प्रोफेशनल फिल्म श्रेणी में पार्थ बागुल की फिल्म ‘मास्क’ को प्रथम, सुशोभित मिश्रा की फिल्म ‘आजादियां’ को द्वितीय, नलिनी मेधी की फिल्म ‘माते’ को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया।
इस श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ निर्देशन के लिए पार्थ बागुल (मास्क), सर्वश्रेष्ठ पुरुष अभिनेता मंथन केनेकर (कपाट) और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री अवंतिका पांडेय (पनही) को दिया गया। कैंपस प्रोफेशनल फिल्म श्रेणी चंदन सिंह की फिल्म संसार को प्रथम, अनुराज राजाध्यक्ष की फ़िल्म ‘रोपत’ को द्वितीय, मानव सिंह की फिल्म अंतिम बद्दुआ को तृतीय पुरस्कार दिया गया।
वहीं, इस श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ निर्देशन मानव सिंह (अंतिम बद्दुआ), सर्वश्रेष्ठ पुरुष अभिनेता मुकेश मुसाफिर (छाया) और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री अनुराधा राजाध्यक्ष (रोपते) को दिया गया। कार्यक्रम के अंत में आयोजन समिति के अध्यक्ष दिलीप सूर्यवंशी ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन महाभारत फेम प्रख्यात आवाज कलाकार डॉ. हरीश भिमानी ने किया।