तीरंदाज, कोरबा। जनता की शिकायतें दूर करने के नाम पर चलने वाले जनदर्शन में आपने किसी अफसर या नेता को राजा की तरह कुर्सी पर बैठे और लोगों को खड़े होकर गिड़गिड़ाते ही देखा होगा। आपने देखा होगा कि जनदर्शन के नाम पर अफसर या नेता के दर्शन होते हैं। गरीब ग्रामीण दूर-दूर से आते हैं, घंटों लाइन में खड़े होते हैं। और अगर अहंकार के भाव में कुर्सी पर बैठे ‘लार्ड साहब’ घर से डांट खाकर आये हैं तो घंटों साहब के दर्शन का इंतज़ार करने वाला शख्स दुत्कार का शिकार भी हो सकता है।
इस बनावटी व्यवस्था के उलट छत्तीसगढ़ के एक आईपीएस ने ऐसी पहल की है जो आपका पुलिस के प्रति नजरिया बदल देगी। बस ये समझ लें कि इस आईपीएस ने असली जनदर्शन शुरू किया है। एक ऐसा जनदर्शन जिसमें अधिकतर शिकायतों का निपटारा मौके पर ही हो रहा है। अफसर के सामने जनता खड़ी नहीं रहती, बल्कि बराबरी से साथ में बैठती है। यह अनोखी पहल की है कोरबा जिले के एसपी भोजराम पटेल ने। जिले के थानों में पहुंचने वाली शिकायतों का निपटारा शिकायतकर्ता के घर जाकर किया जा रहा है। इसके लिए एसपी ने खुद अपना शेड्यूल तय किया है।
ऐसे काम कर रही है यह व्यवस्था
दरअसल एसपी ने लोगों की शिकायतों को सुनने व उन्हें सुलझाने का एक बेहतरीन आईडिया निकाला है। एसपी भोजराम पटेल ने “तुंहर पुलिस-तुंहर द्वार” नाम से एक ऐसी पहल की है जिसकी चर्चा पूरे प्रदेश में हो रही है। इसके लिए एसपी पटेल ने अलग-अलग टीमें बनाई हैं। नगर पुलिस अधीक्षक कोरबा, नगर पुलिस अधीक्षक दर्री एवं एसडीओपी कटघोरा के अधीन एक-एक मोबाइल वाहन तैनात किया गया है।
इस मोबाइल वाहन में एक निरीक्षक और सहायक नियुक्त किया गया है। अनुविभागीय अधिकारी थानों में आईं शिकायतों की सूची मोबाइल वाहन में तैनात अधिकारी व सहायक को भेजते हैं। इस सूची को देखकर टीम उस गांव में जाती है, जहां की शिकायत है। गांव में जाकर शिकायत को गांव में ही सुलझाने का प्रयास किया जाता है।
जैसी शिकायत, वैसी कार्रवाई
एसपी भोजराम पटेल ने बताया कि थानों में आम जनता की कुछ ऐसी शिकायतें आती हैं, जिनका तुरत-फुरत निराकरण संभव है। लेकिन प्रक्रिया में समय लगता है और ठाणे में शिकायतों की संख्या भी बढ़ती है। इन सभी बिंदुओं को देखते हुए यह व्यवस्था की गयी है। एसपी ने कहा कि वे स्वयं इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। दिनभर आने वाली शिकायतों की लिस्ट पर वह रात को कुछ होमवर्क करते हैं। दूसरे दिन संबंधिक क्षेत्र का दौरा करते हैं। गांव में बैठकर समस्याओं का समाधान निकला जाता है।
लोगों का समय और पैसा दोनों बचेगा
एसपी पटेल का कहना है कि थानों में कई मामलों में दूर-दूर से शिकायतकर्ता पहुंचते हैं। कइयों की अर्थक स्थिति ठीक नहीं होती। शिकायत करने के बाद बार-बार थानों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। हमारी योजना के अनुसार ऐसी शिकायतों की लिस्टिंग कर उनके घर जाकर मामला सुलझाना है। ऐसे मामलों में जमीन विवाद, मारपीट, गुमशुदगी, ठगी जैसे केस हो सकते हैं। इस योजना पर काम होने से लोगों का समय और पैसा दोनों बचेगा और पुलिस के प्रति एक सकारात्मक सोच भी बनेगी।