Tirandaj, Indore। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आंवला एकादशी मनाई जाती है। यह इस बार 14 मार्च 2022 को मनाई जाएगी। इस दिन श्रीहरि के साथ आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। इसलिए इसे आंवला एकादशी या आमली ग्यारस भी कहा जाता है।
इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि एकादशी तिथि 13 मार्च को सुबह 10.21 मिनट पर शुरू होगी। अगले दिन 14 मार्च को दोपहर 12.05 मिनट तक है। उदया तिथि की मान्यता होने के कारण 14 मार्च को आंवला एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
यह मुहूर्त और योग हैं फलकारी
पंडित गिरीश व्यास ने कहा कि एकदशी पर चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। इस वर्ष आंवला एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:32 मिनट से रात्रि 10:08 मिनट तक रहेगा। पुष्य नक्षत्र होने की वजह से इस व्रत का पुण्य कई गुना ज्यादा होगा। पुष्य नक्षत्र रात्रि 10:08 मिनट तक है।
आमलकी एकादशी का महत्व
आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार सृष्टि की रचना के लिए श्रीहरि ने पहले ब्रह्मा को जन्म दिया। उस समय नारायण ने आंवले के वृक्ष को भी जन्म दिया। इसलिए उन्हें आंवला बेहद प्रिय है। मान्यता है कि इस पेड़ के हर एक भाग में ईश्वर का वास है। कहा जाता है कि आमलकी एकादशी के दिन आवंले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का पूजन करने से वो बेहद प्रसन्न होते हैं।
साथ ही ये भी कहा जाता है कि आवंले के वृक्ष में श्री हरि और माता लक्ष्मी का वास होता होता है। मान्यता यह भी है कि आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करने से एक हजार गाय दान के समान पुण्य मिलता है। आमलकी एकादशी के दिन आंवला पूजन, आंवले के जल से स्नान और दान भी करना चाहिए। इससे भगवान प्रसन्न होते हैं।