नई दिल्ली। विदेश मंत्री के रूप में भारत की कूटनीति के लिए एक दुर्लभ सहानुभूति और एक मानवीय दृष्टिकोण लाने वाली सुषमा स्वराज का आज जन्म दिन है। देश की आयरन लेडी के रूप में पहचान बनाने वाली सुषमा स्वराज ने अपने काम से देश और विदेश में नाम कमाया।
ट्विटर पर बेहद सक्रिय रहने वाली सुषमा स्वराज से जब भी विदेश में फंसे किसी भी भारतीय ने मदद मांगी, उन्होंने तत्काल उसका समाधान दिया। उनका एक ट्वीट इस मामले में बेहद रोचक था- जिसमें उन्होंने लिखा था- आप चाहें मंगल ग्रह पर भी क्यों न हों, भारत आपकी सहायता करेगा।
इससे पहले शायद ही किसी विदेशमंत्री ने इतनी तत्परता दिखाई हो। पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता सुषमा स्वराज का निधन 6 अगस्त, 2019 को 67 वर्ष की आयु में कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुआ था। उनके वह निडर और जिद्दी स्वभाव की वजह से आमतौर पर भारत की लौह महिला के रूप में जाना जाता था।
एक बार वह जो ठान लेती थीं, उसे करके दी दम लेती थीं। वह ट्विटर पर सबसे ज्यादा फॉलो की जाने वाली भारतीय राजनेताओं में से एक थीं। स्वराज को लोगों के राजनेता के रूप में भी जाना जाता था और उन्हें वाशिंगटन पोस्ट द्वारा भारत की सुपरमॉम के रूप में शीर्षक दिया गया था।
स्वराज कई मामले में पहली थीं-
सुषमा स्वराज कई मामलों में पहली थीं। हरियाणा सरकार में सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनने वाली वह पहली महिला थीं। वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं। देश में किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल की वह पहली महिला प्रवक्ता थीं।
अटल से लेकर मोदी सरकार तक बेहतरीन रहा काम
वह 1996 में 13-दिवसीय अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री थीं और 1998 में भाजपा को सत्ता में लाने के बाद उन्होंने कैबिनेट पोर्टफोलियो फिर से हासिल किया। विदेश मंत्री के रूप में, स्वराज ने भारत की कूटनीति में दृढ़ता की भावना लाई और देश की विदेश नीति की प्राथमिकताओं के हिस्से के रूप में प्रवासी भारतीयों को शामिल किया। स्वराज ने 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में भोपाल से लगभग 58 किमी दूर स्थित विदिशा से जीत हासिल की और मोदी सरकार में भी बेहतरीन काम किया।
अटल बिहारी वाजपेयी 13 दिन बाद सरकार गिरने के बाद बोलीं
ये इतिहास में पहली बार नहीं हुआ कि राज्य का सही अधिकारी अपने राज्य से वंचित कर दिया गया हो।
जब एक मंथरा और एक शकुनी, राम और युद्धिष्ठिर जैसे महापुरुषों को सत्ता से बाहर कर सकते हैं तो हमारे खिलाफ तो कितने शकुनी और कितनी मंथराएं सक्रिय हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान को जवाब देते हुए
नवाज शरीफ कहते हैं मेरे देश में मानव अधिकार का उल्लंघन हो रहा है, मैं कहना चाहूंगी कि जिनके अपने घर शीशे के हों, उन्हें दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए।
पाकिस्तान के धोखे पर प्रतिक्रिया-
हमने दो वर्षों में मित्रता का वो पैमाना खड़ा किया जो उससे पहले कभी नहीं था, लेकिन हमें मिला क्या बदले में- पठानकोट, उडी, बहादुर अली?
हम आतंक के बारे में बात नहीं करना चाहते, हम उस पर कार्रवाई चाहते हैं। आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते।
मैं किसी चीज से नहीं डरती, यहां तक कि मौत से भी नहीं।
लोग किसी भी कमी को नजरअंदाज कर सकते हैं, लेकिन अहंकार बर्दाश्त नहीं करेंगे।
हमें अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखना चाहिए।
सुधार की शुरुआत आज से ही होनी चाहिए, कल बहुत देर हो सकती है।