रायपुर। राजधानी रायपुर में चल रहे किसान आंदोलन में कुछ लोग अपना एजेंडा चला रहे हैं। आंदोलन कर रहे किसानों के व्हाट्सएप ग्रुप में जातिवादी पोस्ट शेयर हो रही हैं। आंदोलन से जुड़े लोगों द्वारा इसे नजरअंदाज करने से पूरा आंदोलन भटकता नजर आ रहा है।
27 गांव के किसानों द्वारा जो व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं उनमें जातिवादी टिप्पणियों के साथ ही राजनीति से जुड़े पोस्ट आने लगे हैं। इसके कारण किसान आंदोलन की दिशा भटकती नजर आ रही है। वाट्सएप ग्रुप में इस तरह के पोस्ट आने से यह सवाल उठ रहा है कि क्या किसान आंदोलन अपनी दिशा से भटक रहा है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में नई राजधानी प्रभावित किसान समिति द्वारा अपनी विभिन्न मांगों को लेकर नया रायपुर में धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। समिति स 27 गांवों के लोग जुड़े हैं| आंदोलनकारियों द्वारा सरकार के सामने कई मांगें रखी गईं हैं। लेकिन अब तक इनका समाधान नहीं हो पाया है। नया रायपुर में किसान डेढ़ माह से आंदोलनरत है। इस बीच प्रदर्शन में कुछ लोगों ने गंदगी फैलाना शुरू कर दिया है। सवर्ण और पिछड़ों के बीच मनमुटाव पैदा करने वाले पोस्ट डाले जा रहे हैं।
नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति द्वारा आंदोलन से लोगों को जोड़ने के लिए व्हाट्सएप पर अलग-अलग ग्रुप बनाए गए हैं। इस ग्रुप के माध्यम से किसान एक दूसरे से जुड़े हैं और आपसी बातें साझा करते हैं। लेकिन कुछ दिनों से किसान संघर्ष समिति नया रायपुर नाम के ग्रुप में जातिवादी व भड़काने वाले पोस्ट देखे जा रहे हैं। इसमें हिंदू-मुस्लिम पर बातें लिखी हैं।
वहीं एक पोस्ट में भाजपा और कांग्रेस को आमने सामने कर पोस्ट किया गया है। ग्रुप में इस तरह के और भी पोस्ट सामने आ रहे हैं। इससे आंदोलन के बीच जातिवाद और राजनीतिक माहौल बनता दिख रहा है।
किसानों की एकता को तोड़ने का प्रयास
इस पूरे मामले को लेकर नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रोपण चंद्राकर का कहना है कि आंदोलनरत किसानों में एकता है। हम हमारी मांगों पर अटल हैं। व्हाट्सएप ग्रुप में इस तरह का भ्रम फैलाने वाले बाहरी लोग हैं।
यह सभी भाजपा और कांग्रेस से जुड़े लोग हैं जो आंदोलन को गलत दिशा देने व तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। हम ऐसे लोगों के बहकावे में भी नहीं आने वाले। रूपम चंद्राकर ने यह भी कहा है कि ग्रुप में इस तरह के पोस्ट करने वालों को चेतावनी दी जाएगी। ऐसे लोगों को ग्रुप से बाहर भी कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा है कि हम नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के लोग हैं। हमारे साथ सभी जाति के लोग जुड़े हैं। हम एक साथ आंदोलन कर रहे हैं और एक साथ खाना खाते हैं। एक ही जगह पर सो रहे हैं। राजनीतिक लोग जितना भी प्रयास कर लें, हमारा आंदोलन नहीं टूटेगा।
यह है किसानों की प्रमुख मांगे
आंदोलनरत किसानों की प्रमुख मांगों में 2005 से जमीन की खरीदी-बिक्री पर लगी रोक हटाई जाए। प्रभावित 27 ग्रामों को घोषित नगरीय क्षेत्र की अधिसूचना निरस्त की जाए। पूरे ग्रामीण बसाहट का पट्टा दिया जाए । प्रभावित क्षेत्र के हर वयस्क को 1200 वर्ग फीट विकसित भूखंड दिया जाए। अर्जित भूमियों पर वार्षिकी राशि का भुगतान तत्काल दिया जाए। मुआवजा प्राप्त नहीं हुए भू- स्वामियों को चार गुणा मुआवजा का प्रविधान किया जाए।