रायपुर। नई राजधानी परियोजना प्रभावित किसानों के आंदोलन को लगभग 40 दिन हो गए। वे अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। मामले पर सरकार का दावा है कि किसानों की 8 में से 6 मांगें मान ली गई हैं। इधर आंदोलनकारी बोले राज्य सरकार किसानों से छलावा कर रही है। ये सहमति 10 साल पुरानी है। भाजपा सरकार के समय ही निर्णय हो चुका था, इससे हम सहमति नहीं हैं।
बता दें कि कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने रविवार को दोपहर अपने निवास कार्यालय में वन मंत्री मोहम्मद अकबर के साथ मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा की। जानकारी दी कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नई राजधानी परियोजना के प्रभावित किसानों की मांगों को लेकर संवेदनशील हैं। कहा कि नई राजधानी परियोजना नवा रायपुर के प्रभावित किसानों की 8 मांगों में से 6 पर सहमति बन गई है। मांगों पर सहमति के बाद कृषि मंत्री चौबे ने किसानों से आंदोलन समाप्त करने की अपील की।
मामले पर नई राजधानी परियोजना नवा रायपुर के आंदोलन के नेतृत्वकर्ता रूपन लाल चंद्राकर ने कांग्रेस सरकार के उक्त वक्तव्य पर असमति जताई है। उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि ये सरकार भी किसानों के साथ छलावा कर रही है। चंद्राकर के अनुसार नवा रायपुर के प्रभावित आंदोलनकारी किसानों की वास्तविक मांगों की पहले और वर्तमान सरकार ने अब तक उपेक्षा ही की है। अगर उन मांगों को पूरा कर दे तो हम आंदोलन वापस ले लेंगे।
किसान आंदोलन के नेतृत्वकर्ता रूपन लाल ने जानकारी दी कि भाजपा सरकार के समय हमने जो मांग रखी थी उसको लेकर 2011-12-13 में कई बार बैठकें हुई। उस दौरान भाजपा सरकार ने जिन मांगों पर सहमति दी थी वह केवल एक बिंदु है जिसमें 6 मांगे शामिल है, उसी मांगों पर वर्तमान कांग्रेस सरकार ने भी सहमति दे रही है। इसका कोई मतलब नहीं है। ऐसी ही हमारी मांगों में कई बिंदु शामिल है।
चंद्राकर ने सवाल उठाया कि भाजपा सरकार के समय यही कांग्रेस के नेता आंदोलन में हमारा साथ देते थे। जब कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी, जयराम जी, नंदकुमार पटेल आते थे तो हमें किसानों के साथ आंदोलन के लिए बुलाते थे। चंद्राकर ने कहा आज वही कांग्रेस सत्ता में आने के बाद हमें उन्हीं नेताओं से बचाने की कोशिश करती है।
रूपम लाल चंद्राकर कहा हमारी बहुत सी मांग है उनमें 2005 में लगा प्रतिंबध हटा दें। ग्राम पंचायत व शहरी प्रतिंबध के बीच में हैं उस पर ध्यान दिया जाए। जमीन की कीमत एक हेक्टेयर पर 14.75 लाख के अनुसार दी जाए। वहीं 3600 स्क्वेयर का निःशुल्क भूखंड देने आदि मांगें पूरी की जाए।
(TNS)