रायपुर। जनप्रतिनिधियों को कभी-कभी ऐसी शिकायतें मिलती है कि उन्हें सोचने पर मजबूर होना पड़ता है। जवाब देते भी नहीं बनता। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, वो है मदिरा का.. कहा जा रहा है कि प्रदेश की मदिरा में वो पावर नहीं है जिससे कि पीने के बाद हम मदमस्त हो जाएं।
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में शराब के नाम पर सियासत कोई पुरानी बात है। इस बार शराब के नाम पर जो सियासत चल रही है उसका कारण अलग है। दरअसल बीजेपी के वरिष्ठ आदिवासी नेता राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार की शराब में पिकअप नहीं है, पावर नहीं है, शौकीन लोग कितना भी पीते हैं उन्हें मजा नहीं आता। ज्यादा खर्च करने के बाद भी नशा नहीं होता। इसमें भी भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
जानकारी अनुसार पिछले बुधवार को बीजेपी के जिला कार्यालय में प्रेसकान्फ्ररेंस हुआ था। जहां मीडियाकर्मियों को संबोधित करने के बाद सांसद रामविचार नेताम ने अलग से मीडिया से बातचीत की थी। जहां उन्होंने कहा था कि छत्तीसगढ़ सरकार की शराब पिकअप नहीं ले रही है। उन्होंने आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार द्वारा शराब के नाम पर पानी बेची जा रही है, इसमें भी भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
सांसद नेताम ने आरोप लगाया कि शराब के अलग-अलग ब्रांड बनाकर सिर्फ पानी बेची जा रही है। हमारे प्रदेश के शौकीन लोग सरकार से खुश नहीं हैं। जनप्रतिनिधि होने के नाते रात में भी कई फोन आते हैं और कहते है कि शराब कितनी भी पी लेते हैं फिर भी चढ़ती ही नहीं है।
आबकारी मंत्री लखमा के बयान पर कहा- भांग खाकर वादा किए थे क्या?
इस दौरान सांसद रामविचार नेताम में ना केवल शराब की गुणवत्ता पर सवाल उठाया, बल्कि कांग्रेस सरकार की शराबबंदी के वादों पर भी तंज कसा। आदिवासी क्षेत्रों में शराबबंदी के सवाल पर नेताम ने कहा कि बीजेपी ने कभी शराबबंदी की मांग नहीं की। कांग्रेस जब विपक्ष में थी तब वह मांग करती थी और अपने घोषणा पत्र में शराबबंदी का वादा किया था। उन्होंने कहा अब जब शराबबंदी नहीं कर रही है तो क्या कांग्रेस भांग खाकर शराबबंदी की घोषणा की थी। बता दें कि हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा था कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी को छोड़कर और कोई भी शराबबंदी नहीं चाहता है। इसी बयान पर रामविचार नेताम ने पलटवार किया है।
(TNS)