तीरंदाज डेस्क। वैश्विक महामारी के बीच तीसरे विश्व युद्ध (third world war) का खतरा बढ़ गया है। रूस और यूक्रेन के बीच बीते कई दिनों से चल रहा तनाव अब बढ़ गया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने सैनिकों को पूर्वी यूक्रेन में घुसने के आदेश दे दिए हैं। रूस ने कहा कि शांति स्थापित करने के उद्देश्य से सेना को भेजा रहा रहा है। यूक्रेन से सटी सीमा पर रूसी सैनिक टैंकों और अन्य हथियारों के साथ देखे जा रहा है।
अमेरिका द्वारा इसे शांति मिशन कहे जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। यूक्रेन को अब पश्चिमी देशों से मदद की आस है। ऐसे में यदि अमेरिका और अन्य देश सैन्य मदद करते हैं, तो बड़ा युद्ध छिड़ जाएगा, जो तीसरे विश्वयुद्ध में तब्दील हो सकता है।
दरअसल, पुतिन ने सोमवार को पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्रों डोनेस्क और लुहांस्क को स्वतंत्र देश की मान्यता दे दी। साथ ही उनके साथ रूस के सुरक्षा समझौते का भी एलान कर दिया। इस एलान के साथ ही पुतिन ने यूक्रेन की सेना को दोनों इलाकों पर गोलाबारी रोकने के लिए कहा। पुतिन ने कहा कि सुरक्षा समझौते के तहत अब इनकी सुरक्षा की रूस की जिम्मेदारी है।
इसके जवाब में अब अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे कई शक्तिशाली देश एकजुट हो गए हैं और जवाबी कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे है। ब्रिटेन जहां रूस पर शक्तिशाली प्रतिबंध लगाने की पैरवी कर रहा है, वहीं दूसरी ओर फ्रांस भी रूस को उचित जवाब देने के पक्ष में है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ भी रूस के फैसले को यूक्रेन की संप्रभुता और अखंडता का उल्लंघन मानता है।
UNSC की बैठक में अमेरिका, यूक्रेन, रूस और भारत ने यह कहा
अमेरिका ने कहा कि यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर रूस का स्पष्ट हमला बिना किसी वजह के है। यह संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्य के रूप में यूक्रेन की स्थिति पर हमला है। यह अंतरराष्ट्रीय कानून के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
यूक्रेन ने यूएनएससी की बैठक में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हम शांति चाहते हैं। हम एक राजनीतिक और राजनयिक समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम उकसावे के आगे नहीं झुकते हैं। हम रूस से वार्ता के लिए मेज पर लौटने की मांग करते हैं। हम यूक्रेन के क्षेत्रों में अतिरिक्त रूसी कब्जे वाले सैनिकों को तैनात करने के आदेश की निंदा करते हैं।
रूस ने कहा कि हम राजनयिक समाधान के लिए कूटनीति रूप से तैयार हैं। डोनबास में रक्तपात की अनुमति देने का हमारा इरादा नहीं है। मगर, हम अमेरिका के नेतृत्व में हमारे पश्चिमी सहयोगियों द्वारा निभाई गई नकारात्मक भूमिका को देखकर मजबूर हैं।
भारत ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा- रूस की इस मनमानी के खिलाफ छह देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आपातकालीन बैठक बुलाई है। देश संयम बरतें और बातचीत के जरिए रास्ता निकालने की कोशिश करें। भारत की नजर में नागरिकों की सुरक्षा सबसे ज्यादा जरूरी है।