लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 2022 के लिए विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। 14 फरवरी को दूसरे चरण का मतदान चल रहा है। इसमें नौ जिलों की 55 सीटों पर वोटिंग हो रही है। इस बीच धार्मिक कट्टरपंथियों पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि गजवा-ए-हिंद का सपना कभी पूरा नहीं होने दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि सरकार संविधान के अनुसार काम करेगी, देश का संविधान शरीयत के कानून के अनुसार नहीं चलेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इससे पहले भी कई बार गजवा-ए-हिंद शब्द का प्रयोग कर चुके हैं। इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं कि क्या है गजवा-ए-हिंद और इसका इतिहास…
इस्लाम में गजवा-ए-हिंद का मतलब
युद्ध को गजवा भी कहा जाता है। काफिरों यानी जो भी व्यक्ति इस्लाम को नहीं मानता है, उसके खिलाफ जीते गए युद्ध में विजयी को गाजी कहा जाता है। जब भारत में इस्लाम को फैलाने को कोशिश की गई थी, तो इस शब्द का इस्तेमाल किया गया था।
मुस्लिम धर्म सिद्धांतों में दुनिया के दो हिस्से
मुस्लिम धर्म के सिद्धांतों के अनुसार दुनिया दो भागों में विभाजित है। पहला हिस्सा दारुल इस्लाम कहा जाता है, वह देश जहां मुस्लिम रहते हैं और मुस्लिमों का ही शासन है। जबकि भाग दूसरा दारुल हर्ब है, जहां मुस्लिम रहते तो हैं, लेकिन वहां का शासन गैर-मुस्लिम करते हैं। इस्लामी सिद्धांत के मुताबिक भारत भूमि मुस्लिमों की हो सकती है लेकिन हिंदुओं और मुस्लिमों, दोनों की नहीं हो सकती।
भारत में इस्लामी शासन की साजिश
इस्लामी सिद्धांतों की मान्यता है कि भारत को ‘दारुल इस्लाम’ बनाने के लिए भारतीय मुस्लिमों द्वारा ‘जिहाद’ की घोषणा करना न्यायसंगत है। ऐसे में इसका मतलब यह है कि भारत को दारुल हर्ब से दारुल इस्लाम बनाने के लिए ‘गजवा-ए-हिंद’ करना होगा।