नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण से पूरे विश्व को हलकाल रहते दो साल हो गए। इस दौरान भारत में महाराष्ट्र में देश की 9.3 प्रतिशत आबादी रहती है। कोरोना से हुई 28.9 प्रतिशत मौतें इसी राज्य में हुईं। वहीं केरल में भारत की 2.8 प्रतिशत आबादी रहती है। यह राज्य 10.6 प्रतिशत मौतों का गवाह बना।
भारत में कोरोना संक्रमण को करीब दो साल पूरे हो गए हैं। बता दें कि आज के ही दिन इस संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। इसके बाद से अब तक कोरोना के तीन वैरिएंट सामने आ चुके हैं, जिसमें डेल्टा ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी। यह वैरिएंट अभी भी लोगों को संक्रमित कर रहा है, तो वहीं ओमिक्रॉन वैरिंएट भी तेजी से फैल रहा है।
इस सबके बीच यह देखने को मिला है कि महाराष्ट्र के अलावा दक्षिणी राज्यों में कोरोना वायरस का प्रकोप ज्यादा देखने को महिला है। विशेष तौर पर उत्तरी राज्यों की तुलना में, जहां संक्रमण भी कम रहा और मृत्युदर भी।
देश में महाराष्ट्र ने सबसे ज्यादा डराया
आंकड़े के अनुसारा महाराष्ट्र में भारत की 9.3 प्रतिशत आबादी रहती है। यहां पर 18.8 प्रतिशत लोग कोरोना से संक्रमित हुए। जबकि, कोरोना से हुई 28.9 प्रतिशत मौतें इसी राज्य में हुईं। इसी तरह केरल में भारत की 2.8 प्रतिशत आबादी रहती है। यहां 14.3 प्रतिशत लोग कोरोना से संक्रमित भी हुए। यह राज्य 10.6 प्रतिशत मौतों का गवाह बना।
उचित प्रबंधन ने कम की मृत्यु दर
इसमें एक बात सामने आई कि कोरोना संक्रमण के बीच उचित प्रबंधन ने भी बहुत से लोगों को मरने से बचा लिया। उत्तर प्रदेश में देश की कुल 16.5 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। यहां पर सिर्फ 4.9 प्रतिशत लोग ही कोरोना से संक्रमित हुए और 4.7 प्रतिशत मौतें हुईं। इससे अच्छी स्थिति बिहार की रही, जहां देश की आबादी की 8.6 प्रतिशत जनसंख्या होने के बावजूद दो प्रतिशत लोग संक्रमित हुए और 2.5 प्रतिशत मौतें हुईं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
कोरोना मामलों पर शोध कर रहे विशेषज्ञ का कहना है कि दो सालों में कोरोना संक्रमण ने कई राज्यों में तबाही मचाई है, लेकिन आंकड़ों को देखकर यह लगता है कि कई राज्यों में संक्रमण दर काफी ज्यादा रही, लेकिन बेहतरीन रिपोर्टिंग प्रणाली से वहां पर कई लोगों की जान बचाई जा सकी।
(TNS)