इंदौर। राहु काल नाम से ही पता चलता है कि राहु का काल। राहुकाल को राहुकालम के नाम से भी जाना जाता है, दिन में एक मुहूर्त राहु काल का भी आता है, जो अशुभ माना जाता है। यह स्थान और तिथि के साथ अलग अलग होती है, अर्थात पृथक-पृथक समय पर और पृथक-पृथक स्थान के लिए राहुकाल बदलता रहता है। यह अंतर समयक्षेत्र में अंतर के कारण होता है। राहुकाल प्रायः प्रारंभ होने से करीब डेढ़ घंटे तक रहता है।
इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि ग्रीनविच नामक वेधशाला से जो भी देश जितने अक्षांश रेखांश पर होगा, वहां जब सूर्योदय होगा, उसी के अनुसार राहु काल का गणित किया जाता है। मान्यता है कि किसी भी पवित्र, शुभ या अच्छे कार्य को इस समय आरंभ नहीं करना चाहिए। पौराणिक कथाओं और वैदिक शास्त्रों के अनुसार इस समय अवधि में शुभ कार्य आरंभ करना वर्जित है। इस समय में काम शुरू करने पर उसे पूरा करने में बहुत संकट आते हैं।
आचार्य व्यास ने बताया कि इसलिए इस समय पर छोटे-मोटे रोजमर्रा के काम करने चाहिए। नया काम, शुभ काम, जहां तक संभव हो ऑपरेशन आदि इस समय में करवाने से बचना चाहिए। राहुकाल सप्ताह के सातों दिन में निश्चित समय पर लगभग 90 मिनट तक रहता है। इसे अशुभ समय के रूप मे देखा जाता है और इसी कारण राहु काल की अवधि में शुभ कर्मों को यथा संभव टालने की सलाह दी जाती है। राहु काल पृथक- पृथक स्थानों के लिए पृथक- पृथक होता है। इसका कारण यह है कि सूर्य के उदय होने का समय विभिन्न स्थानों के अनुसार अलग होगा।
इसे सूर्य के उदय के समय और अस्त के समय के काल को निश्चित आठ भागों में बांटने से ज्ञात किया जाता है। सप्ताह के प्रथम दिवस अर्थात सोमवार के प्रथम भाग में कोई राहु काल नहीं होता है। यह सोमवार को दूसरे भाग में, शनिवार को तीसरे भाग, शुक्रवार को चौथे भाग, बुधवार को पांचवे भाग, गुरुवार को छठे भाग, मंगलवार को सातवे तथा रविवार को आठवें भाग में होता है।
यह प्रत्येक सप्ताह के लिये निश्चित रहता है परंतु समय सूर्योदय के अलग अलग होने से समय में परिवर्तन संभव है। इस गणना में सूर्योदय के समय को प्रात: छह बजे (भारतीय स्टैंडर्ड टाइम) का मानकर एवं अस्त का समय भी सांयकाल छह बजे का माना जाता है। इस प्रकार मिले 12 घंटों को बराबर आठ भागों में बांटा जाता है।
इन बारह भागों में प्रत्येक भाग डेढ घंटे का होता है। यहां इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वास्तव में सूर्य के उदय के समय में प्रतिदिन कुछ परिवर्तन होता रहता है और इसी कारण से ये समय कुछ खिसक भी सकता है। अतः इस बारे में एकदम सही गणना करने के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त के समय को पंचांग से देख आठ भागों में बांट कर समय निकाल लेते हैं, जिससे समय निर्धारण में गलती होने की आशंका भी कम रहती है।
जानिए किस दिन कितने बजे तक रहता है राहु काल
सोमवार -प्रातः -7.30 से 9.00 तक।
मंगलवार -दोपहर 3.00 से 4.30तक।
बुधवार -दिन में 12.00 से 1.30 तक।
गुरुवार -दिन -1.30 से 3.00 तक।
शुक्रवार -प्रातः – 10.30 से 12.00 तक।
शनिवार -प्रातः -9.00 से 10.30 तक।
रविवार -सायं – 4.30 से 6.00 तक।
ज्योतिषीय परामर्श के लिए कर्मकांड मर्मज्ञ एवं भागवताचार्य पंडित गिरीश व्यास से आप 9926700361 पर फोन करके या girishvyas121212@gmail.com पर मेल भेजकर संपर्क कर सकते हैं।