तीरंदाज, रायपुर। पाकिस्तानी संस्था को जमीन देने के मामले में प्रशासन बैकफुट पर आ गया है। रविवार को पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल द्वारा उठाए गए सवाल के बाद प्रशासन ने इस मामले में बयान जारी कर कहां है कि दावते इस्लामी संस्था का जमीन संबंधी आवेदन एवं प्रकरण प्रारंभिक स्थिति में ही निरस्त कर दिया गया है। अब सवाल यह है कि इश्तहार देना क्या प्रारंभिक स्थिति है।
बता दें की दावते इस्लामी संस्था को सामुदायिक भवन निर्माण के लिए ग्राम बोरिया खुर्द स्थित शासकीय भूमि में से 10 हेक्टेयर भूमि के आवंटन का आवेदन मिलने के बाद इश्तिहार प्रकाशित किया गया था। इसे लेकर राजधानी में बवाल शुरू हो गया। इस मामले में रविवार को प्रेस वार्ता लेकर बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार को घेरा। उन्होंने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ सरकार पाकिस्तानी संस्था को 10 हेक्टेयर जमीन सामुदायिक भवन निर्माण के लिए दे रही है। इस मामले में बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार से स्पष्टीकरण भी मांगा। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने इतनी बड़ी जमीन देने को लेकर सरकार में सवाल उठाए।
पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अनुविभागीय दंडाधिकारी देवेंद्र पटेल ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि दावते इस्लामी का आवेदन प्रारंभिक स्थिति में ही निरस्त कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि आवेदक संस्था दावते इस्लामी की ओर से सय्यद कलीम द्वारा सामुदायिक भवन के निर्माण के लिए ग्राम बोरियाखुर्द स्थित शासकीय में से 10 हेक्टेयर भूमि के आवेदन दिया गया था। आवेदन प्राप्त होने पर अत्तिरिक्त तहसीलदार द्वारा प्रारंभिक प्रक्रिया के तहत इश्तिहार प्रकाशन के लिए ज्ञापन जारी किया गया। अनुविभागीय दंडाधिकारी देवेंद्र पटेल ने बताया कि इश्तिहार प्रकाशन के बाद आवेदक द्वारा अतिरिक्त तहसीलदार के न्यायालय में उपस्थित होकर अपना आवेदन ये कहकर वापस लिया कि त्रुटिवश उनके द्वारा रकबा 10 हेक्टेयर लिखा गया है, जबकि उन्हें केवल 10 हजार वर्गफुट की ही आवश्यकता है। उनके द्वारा आवेदन पत्र में खसरा नंबर भी गलत लिखा गया।
अनुविभागीय दंडाधिकारी देवेन्द्र पटेल ने बताया कि को तहसीलदार न्यायलय द्वारा 1 जनवरी 2022 को आवेदन पत्र निरस्त कर प्रकण नस्तीबद्ध कर दिया गया। उन्होंने बताया कि आरबीसी के प्रावधान के अंतर्गत 10 हजार वर्गफुट भूमि आबंटन तहसीलदार या जिला स्तर पर नहीं किया जा सकता एवं किसी संस्था को भूमि आवंटन विस्तृत प्रक्रिया व दावा – आपत्ति के पश्चात शासन को अनुमोदन के लिए प्रेषित किया जाता है। संबंधित प्रकरण प्रारंभिक स्थिति में ही निरस्त हो गया है। उन्होंने कहा है कि इश्तिहार प्रकाशन में हुई त्रुटि के लिए प्रभारी अधिकारी व अत्तिरिक्त तहसीलदार को नोटिस जारी किया जा रहा है।