रायपुर। छत्तीसगढ़ की नई राजधानी बसाने और उसके प्रबंधन के लिए बना अटल नगर नवा रायपुर विकास प्राधिकरण उधारी के जाल में फंस रहा है। पिछले दिनों प्राधिकरण, यूनियन बैंक के 317.79 करोड़ रुपए की उधारी नहीं चुका पाया। अब बैंक ने नया रायपुर डेवलपमेंट अथॉरटी (एनआरडीए) की 2.659 हेक्टेयर जमीन पर प्रतीकात्मक कब्जा कर लिया है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मिड कॉर्पोरेट शाखा ने एक दिन पहले अखबारों में एक विज्ञापन जारी किया। उसका मजमून है, बैंक ने नवा रायपुर विकास प्राधिकरण को 2 अगस्त 2021 को एक डिमांड नोटिस जारी किया था। इसके जरिए बैंक ने 317 करोड़ 79 लाख 62 हजार 793 रुपयों के साथ ब्यॉज और कानूनी शुल्क आदि देने की मांग हुई थी।
कर्जदार एनआरडीए को यह राशि चुकाने के लिए बैंक ने 60 दिनों का समय दिया था। इस अवधि के भीतर प्राधिकरण ने बैंक को वह रकम नहीं चुकाई। मियाद पूरा होने के तीन महीने बाद बैंक ने वसूली की प्रतीकात्मक कार्यवाही शुरू की है। इसके तहत 12 जनवरी को नवा रायपुर के कयाबांधा और बरोडा गांव की 2.659 हैक्टेयर जमीन को बैंक ने अपने कब्जे में ले लिया है। हालांकि यह कब्जा प्रतीकात्मक है, लेकिन इसका कानूनी महत्व भी है।
नवा रायपुर की कैसे हुई यह हालत
नई राजधानी बसाने के लिए सरकारों ने अनाप-शनाप कर्ज लेकर सुविधाएं विकसित की हैं। प्राधिकरण पर करोड़ों का कर्ज है। उस मान से यहां निवेश नहीं हुआ। निवेश नहीं हुआ तो प्राधिकरण की आय प्रभावित हुई। अभी तक यह प्राधिकरण सरकारी मदद और कर्ज के भरोसे है। आवास और पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर का कहना है, यह स्थिति क्यों बनी यह देखना होगा। इसके अफसर सरकार को रोज-रोज की रिपोर्ट नहीं देते ऐसे में इस हालात की जानकारी उन्हें नहीं है।
राज्य सरकार पर भी भारी कर्ज का बोझ
राज्य सरकार ने भी पिछले तीन साल में 51 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज लिया है। अब सरकार पर ऋण भार अनुमानित राजस्व आय का 106% हो गया है। मतलब, जितनी आय संभावित है उससे कहीं अधिक कर्ज है। बजट 2021-22 के मुताबिक प्रदेश में 79 हजार 325 करोड़ रुपए की कुल राजस्व प्राप्तियां अनुमानित हैं। कर्ज की यह मात्रा छत्तीसगढ़ के सकल घरेलू उत्पाद का 22% होता है। पूर्ववर्ती सरकार भी 41 हजार करोड़ रुपए का कर्ज छोड़ा था।
(TNS)