रायपुर। पिछले कुछ दिनों से शिक्षा विभाग में चल रहे फर्जी शिकायत पत्र व डायरी कांड का रायपुर पुलिस ने खुलासा कर दिया है। यह पूरो खेल पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने दो साथियों के साथ अंजाम दिया। पुलिस ने इस पूरे मामले सेवानिवृत्त पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी गेंदाराम चंद्राकर, रायपुर होम्योपैथिक मेडिकल कालेज एवं हास्पिटल रामकुण्ड के सचिव संजय ठाकुर व यहीं काम करने वाले टायपिस्ट कपिल कुमार देवदास को गिरफ्तार किया है। मामले में आरोपियों पर पूर्व में धारा 419, 469 के तहत अपराध दर्ज किया गया था। इनकी गिरफ्तारी के बाद कई खुलासे हुए इसके कारण अलग से धारा 420, 465, 468, 471, 120बी, 201 भी जोड़ा गया।
बता दें कि लोक शिक्षण संचालनालय के उप संचालक आशुतोष चावरे ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था कि उन्हें बदनाम करने के लिए उनके नाम का फर्जी हस्ताक्षर कर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की शिकायत व शिक्षामंत्री के पीए की कथित डायरी कई जगह भेजी जा रही है। इस मामले में शिक्षा मंत्री का नाम आने के बाद पुलिस एक्टिव हुई। वहीं शिक्षामंत्री ने भी सीएम भूपेश बघेल से इस संबंध में उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की थी। पुलिस के आला अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को समझा और शीघ्र आरोपियों की गरफ्तारी करने का निर्देश दिया। पुलिस ने मामले की जांच वहीं से शुरू कि जहां से इसकी शुरुआत हुई।
जांच के दौरान सबसे पहले पुलिस पोस्ट ऑफिस पहुंची जहां से स्पीड पोस्ट किया गया। पोस्ट ऑफिस के सीसीटीवी फुटेज में एक व्यक्ति दिखाई दिया जिसकी पहचान कपिल कुमार देवदास के रूप में हुई। यहां से पुलिस को एक एक कर कड़ी मिलती गई। पुलिस ने कथित डायरी को लेकर शिक्षा विभाग के कर्मी से भी पूछताछ की थी जिसमें उसने बताया कि डायरी उसने नहीं लिखी। इधर कपिल कुमार की कॉल हिस्ट्री खंगालने पर पाया गया कि उसकी लगातार पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी गेंदाराम चंद्राकर से बात होती रही है। इसी आधार पर पुलिस को गेंदाराम पर शक हुआ। इसके बाद पुलिस ने इस मामले में गेंदाराम व उसके दोनों साथियों को गिरफ्तार किया।
संविदा नियुक्ति नहीं मिलने से था नाराज
सेवा निवृत्त पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी गेंदाराम चंद्राकर ने यह पूरा कांड केवल संविदा नियुक्ति न मिलने के कारण किया। दरअसल गेंदाराम चंद्राकर जनवरी 2021 में रिटायर हो गए। रिटायरमेंट के बाद उसी पद पर संविदा नियुक्ति चाह रहा था। लेकिन शासन ने उसकी मांग नहीं मानी और यहां पर एएन बंजारा की नियुक्ति कर दी। अपनी नियुक्ति न होने को लेकर वह एएन बंजारा, संयुक्त संचालक केसीकाबरा, तत्कालीन ओएसडी आरएन सिंह, एबीईओ प्रदीप शर्मा व निज सचिव अजय सोनी को जिम्मेदार मानता था। इन्हें सबक सिखाने के लिए गेंदाराम ने पूरा प्लान बनाया।
इस तरह रची पूरी साजिश
अधिकारियों को फंसाने के लए उन्होंने पूरा प्लान बनाकर फर्जी शिकायत पत्र उप संचालक आशुतोष चावरे के नाम से तैयार करवाया। यही नहीं वर्ष 2019 से लेकर अब तक की पोस्टिंग व ट्रांसफर की पूरी सूची लेकर फर्जी डायरी तैयार करवाइर जिसमें ट्रांसफर व पोस्टिंग के लिए लेनदेन का फर्जी विवरण तैयार किया गया। डायरी लिखने के लए उसने अपने घर के पास निर्माणाधीन बिल्डिंग में एक चैकीदार भुवनेश्वर साहू को चुना। शिकायत पत्र को टाईप कराने हेतु संजय सिंह ठाकुर ने अपने होम्योपैथिक मेडिकल कालेज में कार्य करने वाले कपिल कुमार से गेंदाराम चन्द्राकर की मुलाकात कराई। कपिल कुमार ने आशुतोष चावरे के नाम से शिकायत पत्र टाईप किया। यही नहीं उप संचालक लोक शिक्षण के नाम से सील (रबर) तैयार कर शिकायत पत्र को पूरी तरह से असली तरह बनाया गया और कपिल कुमार ने स्पीड पोस्ट भी किया। इस काम के लिए गेंदाराम ने कपिल को 2,500 रुपए दिए थे।
स्पीडपोस्ट से भेजी गई शिकायत पत्र की प्रतियां
स्पीडपोस्ट के माध्यम से शिकायत की कई प्रतियां अलग-अलग न्यूज एजेंसी, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के राजनैतिक व्यक्तियों एवं स्थानीय नेताओं एवं अधिकारियों को पोस्ट किया गया। एक प्रति गेंदाराम चन्द्राकर ने अपने पास रखीं। दोनों डायरियां, रबर सील व ट्रांसफर व पोस्टिंग आर्डर के रफ वर्क को भी नष्ट कर दिया। समाचार पत्रों यह समाचार छपने के बाद कपिल कुमार घबरा गया था। उसने संजय सिंह को फोन कर अपना डर जाहिर किया जिस पर संजय सिंह द्वारा कपिल को अपने परिचित के घर छिपने भेज दिया। पुलिस ने जब कपिल को गिरफ्तार किया तो उसके जेब से एक पत्र मिला जिसमें उसने उक्त घटना की संपूर्ण जानकारी का उल्लेख किया था तथा पत्र को पुलिस को पोस्ट करने वाला था लेकिन इससे पहले ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कल लिया।
(TNS)