भिलाई। कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट बच्चों पर भारी पड़ रहा है। खासकर विदेशों की स्थिति बेहद खराब है। कहा जाए तीसरी लहर बच्चों के लिए बेहद संवेदनशील है। थोड़ी सी असावधानी भारी पड़ सकती है, क्योंकि इसके वायरस तेजी से फैल रहे हैं। पर विशेषज्ञों के अनुसार इसके सिमटम्स माइल्ड हैं।
बता दें कि विदेश में इस वैरिएंट के कारण संक्रमण इतनी तेजी से फैल रहा है कि स्कूलों को खुला रखना खतरे से खाली नहीं रहा, पर भारत में स्थिति गंभीर नहीं है। इस वैरिएंट से बच्चों की अपेक्षा बड़े अधिक प्रभावित हो रहे हैं। बच्चे प्रभावित हो भी रहे हैं तो गंभीर स्थिति नहीं बनी है।
इधर छत्तीसगढ़ में कॉटैक्ट ट्रेसिंग अथवा सीरो सर्वे में पिछली बार यह पकड़ में आया कि बच्चों को भी कोरोना ने संक्रमित किया था। इस बार मामला अलग है। अधिकतर बच्चों में संक्रमण के लक्षण दिख रहा है। हर दिन पॉजिटिव केस में 15 प्रतिशत बच्चे शामिल हो रहे हैं। पेट दर्द, दस्त और उल्टी कोरोना संक्रमण के लक्षण के रूप में मिल रहे हैं। एक्सपर्ट वैरिएंट को लेकर अपनी राय दे रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है बच्चों में खतरा भी कम नहीं हैं। इस वैरिएंट के बच्चों में सामान्य लक्षण दिखा है। पेट दर्द, दस्त होना। जी मचलाना, उल्टी जैसी परेशानियां सामने आ रही है। जो कुछ प्रिकाशन के साथ इन तकलीफों की जनरल दवाइयों से वे ठीक भी हो जा रहे हैं। शक होते ही बच्चों को आइसोलेशन में डालना ही उपाय हैं, जिनसे और बच्चों को सुरक्षित रखा जा सकता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक शुरुआती दौर पर यही दिखा है कि ओमिक्रॉन के कारण हलके लक्षण उभर रहे हैं। इसके बावजूद कई रिसर्च से सामने आया है कि ओमिक्रॉन की वजह से सांस नली के ऊपरी हिस्से में समस्या पैदा हो सकती है। छोटे बच्चों में ये समस्या ज्यादा गंभीर रूप ले सकती है। इसकी वजह से वे ब्रोंकाइटिस का शिकार हो सकते हैं। इसलिए हर दृष्टि से हमें सावधान रहना आवश्यक है।
एक रिपोर्टों में इस बात की लगातार आलोचना हो रही है कि कोरोना महामारी के दो साल के अनुभव के बावजूद सरकारों ने बच्चों को इसके प्रभाव से बचाने की रणनीति नहीं बनाई। विदेशों में महामारी की ताजा लहर के बीच स्कूल खुले रखने के फैसले की भी कड़ी आलोचना हुई है। खासकर ब्रिटेन, यूरोप के कई दूसरे देश और अमेरिका में यह वैरिएंड तेजी से फैल रहा है।
अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक ताजा लहर में जितनी बड़ी संख्या में बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है वैसा पहले कभी नहीं हुआ।
एक लाख बच्चे लॉन्ग कोविड का शिकार
रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन, इटली और ऑस्ट्रेलिया में बीते साल स्कूल खुले रहे। इसके बावजूद बच्चे मोटे तौर पर कोरोना वायरस संक्रमण से बचे रहे, लेकिन ओमिक्रॉन वैरिएंट के फैलने के बाद विशेषज्ञों ने अंदेशा जताया है कि स्कूल संक्रमण फैलने का हॉटस्पॉट बन सकते हैँ। ब्रिटेन के ऑफिस ऑफ नेशनल स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक इस समय ब्रिटेन में एक लाख 17 हजार से ज्यादा बच्चे लॉन्ग कोविड का शिकार हैं। अमेरिका में खास कर बच्चों के लिए बहुत ही गंभीर स्थिति पैदा हो रही है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण की वजह से डेढ़ साल के बच्चे की मौत को लेकर विशेषज्ञों के कई तर्क हैं। उनका मानना है ओमिक्रोन के सिमटम्स गंभीर नहीं हैं।फिर भी लोगों में वायरस न फैले इसका पूरा ध्यान आवश्यक है। अनुमान है कि हर दिन मिलने वाले मरीजों में लगभग 10 से 16 प्रतिशत बच्चे शामिल हैं जो 18 वर्ष से कम हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि संक्रमण की चपेट में आए बच्चों में बीमारी के लक्षण भी दिख रहे हैं।
संक्रमण तेजी से, पर सिमटम्स माइल्ड हैः डॉ. सावंत
इस मुद्दे पर स्पर्श मल्टी एंड स्पेसिलिटी हास्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एपी सावंत ने बातचीत की। उन्होंने जानकारी दी कि फस्ट और सेकंड संक्रमण के दौरान केवल बड़ों की अपेक्षा केवल 2 से 3 प्रतिशत बच्चे ही अफेक्टेड हुए थे। तीसरी लहर में ओमिक्रोन के सिमटम्स का फैलाव तेजी से हो रहा है। पर इसके प्रभावित जल्द ठीक भी हो जा रहे हैं।
प्रिकाशन के साथ जनरल दवाइयों से ठीक हो जा रहे बच्चे
डॉ. सावंत का कहना है ओमिक्रोन के सिमटम्स माइल्ड हैं। इसलिेए ये गंभीर नहीं हैं। आक्सीजन लेबल पर गंभीर असर नहीं डालता। ये गले में ही रहता है, पर एक संक्रमित चार को प्रभावित कर सकता है। इसलिेए कोविड प्रोटोकाल का पालन आवश्यक है। इसके लक्षणों को देखा जाए तो बच्चों में होने वाली स्वास्थ्यगत सामान्य परेशानी में पेट दर्द, दस्त होना, जी मचलाना, उल्टी शामिल है। इसके लिए जो जनरल दवाइयां है उसी से वे ठीक हो जा रहे हैं। डॉ. सावंत ने कहा आगे क्या होगा कहा नहीं जा सकता। इसलिए अति आवश्यक हो तभी बाहर जाएं। सेनेटाइजर व मास्क का उपयोग जरूर करें।
पिछले दो लहरों की अपेक्षा अभी रिपोर्ट बेहतर
मामले में रायपुर जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ व रायपुर आयुर्वेदिक कॉलेज परिसर में बनाए गए कोरोना प्रभावित बच्चों के अस्थायी अस्पताल की रिपोर्ट के मुताबिक पहली दो लहरों से बेहतर स्थिति है। लेकिन अभी बच्चों में जिस तरह का संक्रमण मिल रहा है वह दूसरी लहर की अपेक्षा कम खतरनाक है। बहुत थोड़े से केस हैं। उसमें भी बेहद मामूली लक्षण है। वे घर पर ही सामान्य इलाज से ठीक भी हो जा रहे हैं।
इसका अभी कोई इलाज नहीं, लक्षण के आधार पर दे रहे दवाइयां
उनका मानना है इस वायरस का अभी कोई इलाज नहीं है। लक्षण के आधार पर दवाइयां दी जा रही है। परिस्थितियों के मुताबिक इलाज का प्रोटोकॉल तय है। कमजोर लंग्स वाले, सिकल सेल से पीड़ित, जन्म से कमजोर और दूसरी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे बच्चों के लिए अभी रिस्क ज्यादा है।
ऐसे रहें सावधान
चिकित्सकों के अनुसार किसी सार्वजनिक स्थल, भीड़ वाली जगहों पर न जाएं। सही तरीके से मास्क पहनें, शारीरिक दूरी का पालन करें और समय अनुसार हाथों को सैनिटाइज करते रहें। कमरों को हवादार रखने की कोशिश करें, खिड़कियां खुली रखें। घर में भी हल्की एक्सरसाइज कराते रहें, पौष्टिक और ताजा भोजन दें।
(TNS)