कोच्चि। केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को कोरोना वायरस टीकाकरण प्रमाणपत्र पर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर हटाने की मांग वाली एक याचिका की विचारणीयता की जांच की। याचिकाकर्ता ने प्रमाणपत्र पर पीएम की फोटो को मौलिक अधिकारों का हनन बताया है। उधर, बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल हुई ऐसी ही याचिका पर केंद्र को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
मामले में कोरोना टीकाकरण प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को हटाने की मांग करने वाली एक याचिका दायर करने वाले से केरल हाईकोर्ट ने कई सवाल उठाए।
न्यायाधीश ने कहा पीएम का चयन देश की जनता ने किया है
केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को कोरोना वायरस टीकाकरण प्रमाणपत्र पर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर हटाने की मांग करने वाली एक याचिका की विचारणीयता की जांच की। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि क्या आपको प्रधानमंत्री पर शर्म आती है। न्यायाधीश पीवी कुन्हिकृष्णन ने कहा कि प्रधानमंत्री का चयन देश की जनता ने किया है, प्रमाणपत्र पर उनकी तस्वीर होने में क्या गलत है।
..उन्हें अपने प्रधानमंत्रियों पर गर्व नहीं होगा
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पीटर म्यलिपरंपिल ने अदालत से जब यह कहा कि अन्य देशों में ऐसा नहीं हो रहा है तो न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें अपने प्रधानमंत्रियों पर गर्व नहीं होगा, लेकिन हमें है। उन्होंने याचिकाकर्ता से पूछा, ‘आपको प्रधानमंत्री पर शर्म क्यों आती है? वह सत्ता में जनता के समर्थन से आए हैं… हमारे राजनीतिक विचार अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन वह फिर भी हमारे प्रधानमंत्री हैं।’
‘100 करोड़ लोगों में केवल आपको ही आपत्ति क्यों?’
अधिवक्ता पीटर ने कहा कि प्रमाणपत्र एक निजी वस्तु है जिसमें निजी जानकारियां दर्ज होती हैं ऐसे में किसी की निजता में दखल देना अनुचित है। उन्होंने दलील दी कि प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर लगाना व्यक्ति की निजी जगह में दखल है। इस पर अदालत ने कहा, ‘देश के 100 करोड़ से अधिक लोगों को टीकाकरण प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री की फोटो से कोई आपत्ति नहीं है, फिर आपको क्यों है?’
‘पीएम पर गर्व निजी पसंद या नापसंद का विषय है’
एक घंटे से अधिक समय तक चली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए एक अन्य अधिवक्ता अजित जॉय ने कहा कि प्रधानमंत्री पर गर्व एक निजी पसंद का विषय है। उन्होंने अदालत से कहा कि यह कोई राजनीतिक मतभेदों से संबंधित कोई मामला नहीं है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने ही जनता के पैसे का इस्तेमाल करते हुए प्रचार कार्यक्रमों और अभियानों के लिए दिशा-निर्देश बनाए हैं।
केंद्र सरकार ने भी जताया याचिका के खिलाफ विरोध
उधर, केंद्र सरकार ने भी इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इसे प्रचार के लिए दाखिल किया गया है। याचिकाकर्ता एक वरिष्ठ नागरिक हैं जिन्होंने आरोप लगाया है कि प्रमाणपत्र पर पीएम की तस्वीर मौलिक अधिकारों का हनन है। हाईकोर्ट ने कहा कि हम इस बात का परीक्षण करेंगे कि याचिका में कोई आधार है या नहीं, अगर इसमें कोई आधार नहीं मिलता है तो मामले को रद्द कर दिया जाएगा।
एक ऐसी ही याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट में भी दाखिल
उधर, बॉम्बे हाईकोर्ट में भी यही मांग करने वाली एक याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में टीकाकरण प्रमाणपत्र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर और उनका नाम हटाने की मांग की गई है। हाईकोर्ट ने इसे एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताते हुए केंद्र सरकार को इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने इसके लिए केंद्र सरकार को 23 दिसंबर तक का समय दिया है।
(TNS)