मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur)। पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) के बढ़ते दामों से लोग खासे परेशान हैं। इस वजह से हर चीज के मूल्यों पर असर पड़ रहा है। ऐसी परेशानियों के बीच अब ऐसी खबर बता रहे है जिसे सुनकर किसी को विश्वास (believe) नहीं होगा, लेकिन यह बिलकुल सच है। बिहार (Bihar) में एक ऐसी मशीन लगाई गई है जिसमें इधर से प्लास्टिक (plastic) डालो, तो उधर से पेट्रोल निकलेगा…
इसमें बड़ी बात ये है कि सिर्फ 6 रुपए के प्लास्टिक कचरे से 79 रुपये की कीमत का डीजल-पेट्रोल बन रहा है। जिले के कुढ़नी के खरौना में प्लास्टिक कचरे से फ्यूल यानि पेट्रोल-डीजल बनाने वाली यूनिट का उद्घाटन बिहार राजस्व व भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने किया। देश में ये ऐसा पहला प्लांट है जहां प्लास्टिक से पेट्रोलियम प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं। मंत्री ने प्लांट में तैयार दस लीटर डीजल भी खरीद लिया।
जाने कैसे बनेगा ईंधन
इस मशीन को लगाने वाली ग्रैविटी एग्रो एन्ड इनर्जी के सीईओ आशुतोष मंगलम के मुताबिक इस फैक्ट्री में प्रतिदिन दो सौ किलो प्लास्टिक कचरे से या तो 150 लीटर डीजल या फिर 130 लीटर पेट्रोल तैयार होगा। सबसे पहले कचरे को ब्यूटेन में बदला जाएगा। इस प्रक्रिया के बाद ब्यूटेन को आइसो ऑक्टेन में बदला जाएगा। फिर मशीन में ही अलग-अलग दबाव और तापमान से आइसो ऑक्टेन को डीजल या पेट्रोल में बदल दिया जाएगा।
इंडियन इंस्चयूट ऑफ पेट्रोलियम ने किया ट्रायल
देहरादून (Dehradun) के इंडियन इंस्चयूट ऑफ पेट्रोलियम (Indian Institute of Petroleum) की ओर से डीजल और पेट्रोल का ट्रायल किया जा चुका है जो सफल भी रहा था। डीजल और पेट्रोल में अधिक ऑक्टन वैल्यू होने से माइलेज अधिक पाया गया है। इस पूरी प्रक्रिया में करीब आठ घंटे तक का वक्त लगता है। जहां तक रॉ मैटेरियल की बात है तो इसके लिए नगर निगम से 6 रुपये प्रति किलो की दर से प्लास्टिक कचरा खरीदा जाएगा।
नगर निगम बेचे डीजल-पेट्रोल
इस यूनिट में तैयार डीजल-पेट्रोल की सप्लाई किसानों के अलावा नगर निगम को भी होगी। ये यूनिट 70 रुपये प्रति लीटर की दर से पेट्रोल और डीजल बेचेगी। पहले दिन ही चालीस किलो प्लास्टिक कचरे से 37 लीटर डीजल तैयार कर लिया गया।
देश ही नहीं विश्व का पहला प्लांट
केंद्र सरकार की पीएमईजीपी योजना के अंतर्गत 25 लाख रुपये लोन लेकर इस यूनिट को खोला गया है। ये देश ही नहीं बल्कि विश्व का एकमात्र ऐसा प्लांट बन गया है जहां प्लास्टिक से डीजल-पेट्रोल बनाया जाता है। इसका पेटेंट मुजफ्फरपुर की ही संस्था ग्रैविटी एग्रो एन्ड इनर्जी को मिला है।
(TNS)