रायपुर। राज्य के सरकारी गोठान अब गौकाष्ठ और वर्मी कंपोस्ट बनाने के बाद एक और नवाचारी कदम उठाने जा रहे हैं। अब वहां गोबर से प्राकृतिक पेन्ट (रंग) बनाया जाएगा, जिसे 120 रुपये लीटर में बेचा जाएगा। इसकी शुरुआत राज्य के 75 चयनित गोठानों से की जाएगी, जिससे करीब 45 करोड़ रुपये की आय होने की उम्मीद है। गोठानों में गोबर से प्राकृतिक पेन्ट बनाने की विस्तृत कार्ययोजना कृषि विभाग ने तैयार की है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण अंचल में महिला समूहों और युवकों को रोजगार दिलाना है।
रविवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्राकृतिक पेन्ट निर्माण की तकनीक हस्तांतरण के लिए राज्य गोसेवा आयोग, कुमाराप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट जयपुर, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग व सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय नई दिल्ली के बीच समझौता करने के लिए एमओयू करेंगे। इसके लिए पहले चरण में 75 गोठानों को चयनित किया गया है, जहां कार्बाेक्सी मिथाइल सेल्यूलोज (सीएमसी) निर्माण इकाई और पेन्ट निर्माण इकाई की स्थापना की पहल शुरू कर दी गई है।
बताते चलें कि सीएमसी ही प्राकृतिक पेन्ट का मुख्य घटक होता है। 100 किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा सीएमसी बनता है। कुल निर्मित पेन्ट की मात्रा का 30 फीसद भाग सीएमसी का होता है। गोठानों में स्थापित की जाने वाली निर्माण इकाइयों से प्रतिदिन 500 लीटर प्राकृतिक पेन्ट का उत्पादन होगा।
प्रथम चरण में गोठानों में स्थापित पेन्ट निर्माण इकाइयों से प्रतिवर्ष लगभग 37.50 लाख लीटर प्राकृतिक पेन्ट के उत्पादन की उम्मीद जताई जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि 25 गोठानों में पेन्ट निर्माण इकाई और 50 गोठानों में सीएमसी इकाई की स्थापना की जाएगी। इसके लिए गोधन न्याय योजनांतर्गत न्यूनतम 400 किलो गोबर प्रतिदिन क्रय किए जाने वाले सड़क मार्ग से जुड़े गोठानों का चयन किया गया है।
(TNS)