रायपुर। नंदकुमार साय ने छत्तीसगढ़ भवन में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में अपने दिल का दर्द जाहिर कर दिया। उन्होंने कहा कि टूटे पैर से उन्होंने प्रचार किया, लेकिन चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री रमन सिंह को बना दिया गया। उन्होंने कहा कि जब राजनीति में लाठीचार्ज के दौरान मेरा पांव टूटा था, उस समय प्लास्टर बांधकर पूरे प्रदेश का दौरा किया। मैंने जोगी के खिलाफ मारवाही में चुनाव लड़ा। वह नकली आदिवासी थे और मैं असली आदिवासी थे। मुख्यमंत्री होने के साथ ही वह दुर्दांत थे। मगर, चुनाव तो जीतना था, लेकिन मेरी पार्टी ने मुझे धोखा दे दिया। मैंने कहा था कि मरवाही से चुनाव लड़ लूंगा, तपकरा से चुनाव लड़ लूंगा, लेकिन तपकरा से टिकट नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा कि मेरा हारना तो निश्चित था क्योंकि वर्तमान मुख्यमंत्री के सामने चुनाव लड़ना आसान नहीं था। अगर मैं जीत भी जाता, तो वह पेटियां बदलवा देते। मगर, मुझे दुख एक ही बात का है कि डॉ. रमन सिंह केंद्र में राज्य मंत्री थे, उनका वहां से इस्तीफा दिलाकर यहां लाकर मुख्यमंत्री बना दिया गया, जबकि उनकी यहां कोई भूमिका नहीं थी। मेहनत तो हम लोगों ने की थी।
जब नंदकुमार साय से सवाल किया गया कि जोगी सर्वमान्य आदिवासी नेता थे, तो वह आदिवासियों की बातों को क्यों नजरअंदाज किया करते थे। इस पर उन्होने जवाब दिया कि जोगी आदिवासी नेता नहीं थे, वह सतनामी मूल के थे व इसाई थे और उनके पास फर्जी प्रमाण पत्र था। वह बोलते थे कि मैंने आदिवासी मां के पेट से जन्म लिया है, लेकिन बच्चा तो बाप का ही होता है, जो सतनामी थे। वह एशिया के सबसे बड़े चर्च के अधिकारी थे, लेकिन उनका कौन सा पंथ है या था, इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि आपने पद की मांग क्यों नहीं की, उन्होंने कहा कि उस वक्त वेंकैया नायडू राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। उनसे मैंने कहा था कि मुझे मुख्यमंत्री होना चाहिए, तो उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री तो आपको ही बनना था, लेकिन आप चुनाव हार गए। तब मैंने कहा था कि आप लोगों को दो जगह से टिकट देना चाहिए थे, आप ने ऐसा न करके मेरे साथ साजिश की है। मुख्यमंत्री जिसे बनना होता है, जरूर नहीं है कि वह चुनाव जीतकर आए।
जब उनसे पूछा गया कि आपके साथ साजिश करने वाला कौन है? तो उन्होंने कहा कि यह बताना उचित नहीं होगा। हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि रमन सिंह को तीन बार मुख्यमंत्री बनाया गया, जबकि हर बार चुनाव प्रचार के लिए हम ही आए। मैंने हर बार कहा कि लगता है चुनाव में मेरी जरूरत नहीं है, लेकिन ऊपर से आदेश आया कि आप चुनाव प्रचार नहीं करेंगे, तो गड़बड़ हो जाएगी। साल 2013 और 2018 में हमने प्रचार किया। धोखा तो मेरे साथ ही हो रहा है।
यह पूछे जाने पर कि क्या इस बार मुख्यमंत्री पद का चेहरा आप ही हैं? इस पर साय ने कहा कि यह तो पार्टी को तय करना है। छत्तीसगढ़ इस वक्त बहुत बुरी स्थिति में है। आसानी से चुनाव जीत जाए, ऐसा नहीं है। मुख्यमंत्री पद का दावा सार्वजनिक रूप से नहीं किया जा सकता। यह निर्णय पार्टी के हाईकमान द्वारा किया जाना चाहिए, वहां तक बात पहुंचानी चाहिए।