रायपुर (Raipur)। आठ साल पहले हुई झीरम घाटी कांड (Jhiram Ghati scandal) में कांग्रेस (Congress) नेताओं की नक्सलियों (Naxalites) ने हत्या (the killing) कर दी थी। मामले में गठित न्यायिक जांच आयोग (judicial inquiry commission) ने अपनी जांच पूरी कर ली है। राज्यपाल (Governor) को रिपोर्ट सौंपी गई है। इस पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है। कांग्रेस ने इसे मान्य प्रक्रिया का उल्लंघन (breach of procedure) करार दिया है।
झीरम कांड रिपोर्ट मामले में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता ने सवाल किया है कि रिपोर्ट में ऐसा क्या है जो सरकार से छिपाई जा रही है? इधर कांग्रेस के आरोप पर भाजपा ने पलटवार किया है।
यह अच्छा संदेश नहीं माना जाता
न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट पर प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि सामान्यतह जब किसी न्यायिक आयोग का गठन किया जाता है, तो वह अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपती है। उनका कहना है झीरम कांड जांच के लिए गठित जस्टिस प्रशांत मिश्र आयोग की ओर से रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंपना अच्छा संदेश नहीं माना जाता है।
रिपोर्ट तैयार करने पहले समय मांगा, फिर अचानक जमा कर दी गई
कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि जब आयोग का गठन किया गया था तब इसका कार्यकाल केवल 3 महीने का था, पर गठित आयोग को जांच में 8 साल कैसे लग गया? आयोग ने हाल ही में यह कहते हुए सरकार से कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी कि जांच रिपोर्ट रिपोर्ट तैयार नहीं हुई है> फिर अचानक रिपोर्ट कैसे जमा की गयी? यह भी जांच का विषय है।
मामला संवेदनशील है, खुलासे का इंतजार सभी को
कांग्रेस के आरोप पर भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता रिपोर्ट किसे सौंपें ये नहीं होनी चाहिए। अच्छी बात ये है कि रिपोर्ट आ गई है। झीरम का मामला संवेदनशील है। खुलासे का इंतजार सभी कर रहे हैं। वास्तविकता की जानकारी सभी को होनी चाहिए।
(TNS)