SUKMA. आशुतोष गोवारिकर की 2004 में आई फिल्म स्वदेश में जब पनचक्की के जरिए गांव में पहली बार बिजली आती है तो लोगों में कौतुहल मच जाता है। गांव की बुजुर्ग महिला की जुबान से इसी कौतुहल में बरबस ही निकलता है- बिजली…। कुछ इसी तरह का कौतुहल इन दिनों सुकमा जिले के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहे पोटकपल्ली गांव के जन-जन में देखने को मिल रहा है।
हो भी क्यों नहीं, आजादी के 75 सालों बाद उनके जीवन से अंधेरा छंटा है और गांव में बिजली आई है। गांववाले खुशी से फुले नहीं समा रहे हैं। जहां तक गांव की बात करें तो यह सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक में आता है। गांव का रास्ता ही लगभग पहुंचविहीन जैसा था। यहां तक बिजली पहुंचाने के लिए तार खींचना भी मुश्किल था।
बस्तर के गांव में पहली बार बिजली की रौशनी देखकर अचरज में पड़े ग्रामीण, रौशनी के पास लग गया मेला @crpfindia @ChhattisgarhCMO @BastarPolice @BastarTalkies @BastarJunction @MANASMAYANK5 pic.twitter.com/RA5bX98DaY
— Tirandaj (@Tirandajnews) September 24, 2022
दूसरा ये कि कभी सार्थक प्रयास भी नहीं किए गए। इन सबके बीच यहां के 33 घरों में अंधेरा पसरा रहा। विकास कोसों दूर था। समय के साथ यह क्षेत्र नक्सलियों की जद में आ गया। इससे ग्रामीणों का जीवन और नारकीय बन गया। बीते छह माह पहले नक्सल समस्या को खत्म करने और ग्रामीणों के बीच विश्वास कायम करने के लिए यहां कैंप खोला गया। इसमें कोबरा की 208 बटालियन के साथ ही सीआरपीएफ की 212वीं और डीआरजी के जवान शामिल थे। उनके आने से यहां से नक्सलियों को बैकफुट पर जाना पड़ा।
सुरक्षा बलों ने जगाया भरोसा
सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद ग्रामीणों से जवानों का मिलना-जुलना होने लगा। इससे ग्रामीणों में शासन-प्रशासन और सरकार के प्रति विश्वास कायम तो हुआ ही, साथ ही ग्रामीण भी अपनी समस्याएं उन्हें खुलकर बताने लगे। जवानों व बल अफसरों ने यहां की सबसे बड़ी समस्या जो महसूस की वह यही था कि गांव में बिजली ही नहीं है।