ISLAMABAD.अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने शर्त रखी है कि पाकिस्तान खाड़ी देशों के अपने द्विपक्षीय भागीदारों से 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अंतर को पाटने की सबसे पहले कोशिश करे. इस तरह ही वह अपनी विश्वसनीयता बहाल कर सकेगा और तभी आईएमएफ का बैल आउट पैकेज मिलने की संभावना बढ़ेगी. द न्यूज इंटरनेशनल ने बताया कि आईएमएफ की इस शर्त को पूरी नहीं कर पाने की स्थिति में इस्लामाबाद डिफ़ॉल्टर की श्रेणी में आ सकता है. द न्यूज डॉट कॉम ने एक शीर्ष अधिकारी के हवाले से लिखा है कि आईएमएफ की इस शर्त के बाद संकटग्रस्त अर्थव्यस्था को उबारने के लिए पाकिस्तान की निगाहें सऊदी अरब, यूएई और कतर पर टिकी हैं. पाकिस्तान के पास अपने खाड़ी देशों के द्विपक्षीय भागीदारों से पुष्टि प्राप्त करने की प्रतीक्षा और प्रार्थना करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.
आईएमएफ समीक्षा मिशन को पाकिस्तान के समक्ष यह शर्त रखने के लिए मजबूर होना पड़ा है, क्योंकि इन देशों के प्रतिनिधि आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड में हैं. उन्होंने इस्लामाबाद को विभिन्न रूपों में वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए पिछले अगस्त में हुई 7वीं और 8वीं समीक्षा के अनुमोदन पर प्रतिबद्धता जताई थी. इनमें अतिरिक्त जमा और निवेश शामिल हैं, लेकिन चालू वित्त वर्ष के कई महीने गुजरने के बावजूद वे अपने वादों को पूरा करने में विफल रहे हैं. शीर्ष आधिकारिक सूत्रों ने द न्यूज से बात करते हुए पुष्टि करते हुए कहा कि ऐसे परिदृश्य में आईएमएफ ने स्टाफ लेवल एग्रीमेंट (एसएलए) पर हस्ताक्षर करने की दिशा में आगे बढ़ने से पहले द्विपक्षीय भागीदारों से 100 प्रतिशत प्रतिबद्धता हासिल करने के लिए गेंद पाकिस्तान के पाले में डाल दी है.
आईएमएफ ने इस्लामाबाद को बताया कि अगर एसएलए समझौता नहीं हुआ या आईएमएफ बोर्ड रुके हुए कार्यक्रम की फिर से समीक्षा शुरू करता है तो उसकी विश्वसनीयता भी दांव पर लग जाएगी. द न्यूज डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक द्विपक्षीय साझेदारों की प्रतिबद्धता पूरी नहीं होने की स्थिति में आईएमएफ पाकिस्तान को डिफॉल्ट जोन की श्रेणी में डाल सकता है. आईएमएफ के उच्चाधिकारियों का तर्क है कि ऐसे कारणों का पता लगाने की आवश्यकता है कि आखिर पाकिस्तान के द्विपक्षीय साझेदार अपनी पहले की प्रतिबद्धताओं को पूरा क्यों नहीं कर सके. द न्यूज डॉट कॉम ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से लिखा है कि ऐसी परिस्थितियों में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कतर की मंजूरी इस्लामाबाद को एसएलए समझौता करने में ही मदद कर सकती है.
गौरतलब है कि सिर्फ चीन ही इस्लामाबाद को बचाने के लिए अपने वाणिज्यिक ऋणों के री-फाइनेंसिंग के साथ-साथ फ्यूचर इक्विटी के लिए अपने सरल समझौते जमा के रोलओवर पर अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए आगे आया था. पाकिस्तान ने 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सेफ डिपॉजिट को रोल ओवर करने का अनुरोध किया था जो अगले सप्ताह मैच्योर होगा. इस बीच पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने कहा कि फंड जारी करने के लिए इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना से 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के वाणिज्यिक ऋण देने के लिए दस्तावेज पूरे कर लिए गए हैं.
चाइना डेवलपमेंट बैंक और इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना सहित चीनी वाणिज्यिक बैंकों ने हाल के दिनों में क्रमशः 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 500 मिलियन अमेरिकी डालर के वाणिज्यिक ऋणों का री-फाइनेंस किया था. अब 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की एक और किस्त शुक्रवार या अगले सप्ताह फिर से वित्तपोषित की जाएगी. द न्यूज डॉट कॉम ने बताया कि जल्द ही आईसीबीसी से 500 मिलियन अमेरिकी डालर का री-फाइनेंस प्राप्त करने के बाद री-फाइनेंस वाणिज्यिक ऋण 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर हो जाएगा. वाणिज्यिक ऋणों में कुल 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर कुछ महीने पहले ही पाकिस्तान द्वारा चुकाए गए थे. चीन ने प्रतिबद्धता जाहिर की थी कि उसके वाणिज्यिक बैंक अपने ऋणों को फिर से री-फाइनेंस करेंगे. आधिकारिक सूत्रों ने कहा, ‘अब उम्मीद है कि आईसीबीसी से 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर के वाणिज्यिक ऋण की अंतिम किस्त को आने वाले हफ्तों में फिर से री-फाइनेंस कर दिया जाएगा.’