भोपाल। चित्र भारती राष्ट्रीय लघु फ़िल्म फेस्टिवल-2022 का आयोजन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 18 से 20 फरवरी 2022 को होना है। इससे पहले यहां चित्र भारती राष्ट्रीय लघु फ़िल्म फेस्टिवल-2022 के ट्रॉफी अनावरण समारोह हुआ। इस मौके पर इस अवसर पर भारतीय संस्कृति एवं सिनेमा की दिशा विषय पर संवाद का भी आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव और विशिष्ट अतिथि सुविख्यात साहित्यकार मनोज श्रीवास्तव उपस्थित रहे। कार्यक्रम में विशेष रूप से प्रख्यात कवि एवं गीतकार मनोज मुन्तशिर भी उपस्थित हुए। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के फ़िल्म निर्माताओं एवं कलाकारों पर तैयार हो रही ‘मध्यप्रदेश फिल्म डायरेक्टरी’ के मुख्य पृष्ठ का अनावरण किया गया।
कार्यक्रम के दौरान कवि मनोज मुन्तशिर ने कहा कि यदि आपमें फिल्म बनाने की कला है तो मुंबई आपके इंतजार में है। अगर आपके अंदर प्रतिभा है तो नेपोटिज्म आपको रोक नहीं सकता। उन्होंने अपनी बातों को काव्यात्मक अंदाज में कुछ इस तरह से पेश किया। उन्होंने कहा कि तुम्हारे खरीदे जौहरी हमें हीरा नहीं मानेंगे। हमें फनकार और कलाकार नहीं मानने, तब भी हम हार नहीं मानेंगे। तुम वंशवाद की जमीन खोद कर गाड़ दोगे, तब भी हम बगावत तेवर के साथ उठ खड़े होंगे लेकिन हार नहीं मानेंगे। मनोज मुन्तशिर ने आगे कहा आदमी खाली हाथ आता है और खाली हाथ जाता है वाली कहावत पूरी तरह सही नहीं है। आदमी खाली हाथ आता तो है लेकिन जाने से पहले अपनी विरासत बना के जाता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में भगवान राम ने शांति और मर्यादा के साथ संहार भी सिखाया। हमारी संस्कृति में यह है कि हम शांति से रह सकते हैं और आतातायी का संहार भी कर सकते हैं। कोरोना महामारी से बचाने के लिए भारत वैक्सीन भी बना सकता है और पूरे विश्व को दे सकता है।
स्वतंत्रता के पूर्व बनती थी गौरवपूर्ण फिल्मे
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप मे शामिल उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि स्वतंत्रता के पूर्व गौरव पूर्ण फिल्मों का निर्माण होता था। स्वतंत्रता के बाद की फिल्मों में भारतीय संस्कृति का आपत्तिजनक चित्रण अधिक हुआ है। देश की स्वतंत्रता के बाद फ़िल्म निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए था। ऐसी फिल्में बननी चाहिए थी जो युवा पीढ़ी को सही दिशा में आगे लेकर जातीं। कार्यक्रम के दौरान सेवानिवृत्त आईएएस एवं साहित्यकार मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि फिल्मों के माध्यम से समाज के बीच संस्कृति की वास्तविकता को पहुंचाया जाना चाहिए। उन्होंने भारतीय फिल्मों के निर्माण में लगने वाले पैसों को लेकर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि शायद ऐसे लोगों को भारतीय संस्कृति में रुचि नहीं है।
उन्होंने कहा कि भारत के ज्यादातर निर्देशक व कलाकार हिन्दू संस्कृति का आपत्तिजनक चित्रण करते हैं और देवी-देवताओं का गलत ढंग से चित्रण करते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सिनेमा की यह स्थिति चिंताजनक है। इससे पहले स्वागत भाषण संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव अदिति कुमार त्रिपाठी ने दिया। फ़िल्म फेस्टिवल की जानकारी एवं विषय प्रवर्तन आयोजन समिति के उपाध्यक्ष लाजपत आहूजा ने किया। इस अवसर पर राजीव गांधी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील गुप्ता, अलाउददीन अकादमी के निदेशक श्री जयंत भिसे, सेज समूह के संजीव अग्रवाल, पीपुल्स समूह के निदेशक मयंक विश्नोई, आईईइस समूह के निदेशक बीएस यादव, एलएनसिटी के निदेशक अनुपम चौकसे मंच पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन शुभम चौहान तामोट ने किया और आभार प्रदर्शन आयोजन समिति के सचिव अमिताभ सोनी ने किया।