INDORE. माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहते हैं। इस बार मौनी अमावस्या 21 जनवरी को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन मौन रहकर गंगा, यमुना सहित किसी भी पवित्र नदी, तालाबों या कुंडों में स्नान करना चाहिए।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था। इसलिए मौन की उत्पत्ति मनु शब्द से मानी गई है। मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा नदी का जल अमृत के समान हो जाता है। इस दिन देवताओं का गंगाजल में वास होता है। इसीलिए गंगा नदी में डुबकी लगाने की परंपरा है।
इसलिए रखा जाता है मौनी अमावस्या पर मौन व्रत
इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि चंद्र देव को ज्योतिष में मन का देवता माना गया है। अमावस्या के दिन चंद्रमा के दर्शन न होने से मन की स्थिति बिगड़ने लगती है। इसीलिए इस दिन दुर्बल मन को मौन रखकर साधने की सलाह दी जाती है। मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत, जप और भगवान को अर्पण करना चाहिए।
आज के दिन साधु-संतों की तरह मौन रहने से आपको उत्तम फल की प्राप्ति होगी। इस दिन कटु वचन बोलने से भी बचना चाहिए। मौनी अमावस्या पर भगवान विष्णु और शिव की पूजा करने से मोक्ष के मार्ग खुलते हैं। इस दिन मौन रहकर व्रत करने वाले मनुष्य को मुनि पद प्राप्त होता है।
मौनी अमावस्या की पूजा विधि
मौनी अमावस्या पर स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन प्रयागराज में गंगा स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करें।
यदि पवित्र नदी में स्नान करना संभव न हो, तो पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद मंत्रों का जाप करें। फिर दान करके अपने सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों को भोजन कराकर भिजवाएं।
यदि किसी भी नदी या पवित्र कुंड में जाकर स्नान करना संभव न हो। साथ ही घर पर भी गंगा जल न हो, तो नीचे लिखे मंत्र को बोलकर मन में भावना करें कि सभी पवित्र नदियों का जल आपके नहाने की बाल्टी में हैं।
गंगा च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती |
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन संनिधिम कुरु ||
इस मंत्र का अर्थ है कि हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी नदियों ! मेरे स्नान करने के इस जल में आप सभी पधारिए।