NEW DELHI/RAIPUR. छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में चल रही सुनवाई के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि मनी लांड्रिंग एक्ट के प्रावधानों को सही ठहराया जा चुका है। फिर भी आरोपी गिरफ्तारी से राहत के लिए उन्हें चुनौती दे रहे हैं। यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इस टिप्पणी के बाद आरोपियों ने ईडी की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका वापस ले ली। बता दें कि ये याचिकाएं कारोबारी अख्तर ढेबर और आबकारी विभाग के अधिकारी निरंजन दास ने लगाई थी।
जानकारी के अुनसार सुनवाई के दौरान कारोबारी अख्तर ढेबर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने जमानत और अन्य राहत के लिए उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने की मांग की। न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की अवकाशकालीन पीठ ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि अधिनियम को चुनौती देने वाली ऐसी याचिकाएं दायर करना, राहत की प्रक्रिया में अन्य उपलब्ध कानूनी उपायों को दरकिनार करना है। इसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता ए एन सिंघवी ने धन शोधन निवारण अधिनियम के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली अख्तर ढेबर की याचिका वापस ले ली। इसी तरह छत्तीसगढ़ के आबकारी अधिकारी निरंजन दास की याचिका भी वापस ले ली गई।
इसके साथ ही अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि इस तरह की दलीलों के साथ यहां आने की प्रथा को रोकने की जरूरत है। कुछ टिप्पणियों की जरूरत है। ऐसे में तो मुकदमेबाजी की बाढ़ आ जाएगी। गौरतलब है कि इससे पहले ईडी की कार्रवाईयों के खिलाफ लगी सभी 6 याचिकाएं हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थीं। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि आज की स्थिति में ऐसा कोई भी तथ्य नहीं है। इसके आधार पर इन याचिकाओं को स्वीकार किया जाए। हालांकि, हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह जरूर कहा कि मानहानि की क्षतिपूर्ति के लिए याचिकाकर्ता चाहें तो सिविल कोर्ट में जा सकते हैं।
कोर्ट ने ये भी कहा
कोर्ट ने कहा कि पीएमएलए के अन्य प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली धारा 32 के तहत इस अदालत में रिट याचिकाएं दायर करना एक प्रवृत्ति बन गई है। जिन पर राहत भी दी गई है। लेकिन याचिकाकर्ता ऐसे मामलों के निपटारे के लिए उन मंचों से किनारा कर रहे हैं, जो उनके लिए खुले हैं। वे सीधे यहां आ रहे हैं। पीठ ने टिप्पणी की कि शीर्ष अदालत एक वैकल्पिक मंच बनता जा रहा है। हाई कोर्ट जाने और वहां के कानून के प्रावधानों को चुनौती देने के बजाय आरोपी सुप्रीम कोर्ट में समन का विरोध कर रहे हैं। मामले की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इन याचिकाओं की विचारणीयता पर गंभीर आपत्ति जताई।