RAIPUR. 25 मई को हर वर्ष झीरम की बरसी मनाई जाती है। इस मामले में नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल का बयान सामने आया है उन्होने कहा कि कांग्रेस ने पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की। उसकी रिपोर्ट आई जिसे विधानसभा के पटल पर रखना था, हम मुख्यमंत्री से पूछना चाहते हैं। जब नक्सली इस घटना को अंजाम दे रहे थे, तो उस वक्त कौन था जो मोटर साइकिल स्टार्ट कर भागा था। वहीं इस मामले में छत्तीसगढ़ के CM भूपेश बघेल ने कहा है कि यह हमारे लिए भावनात्मक मामला है। पीड़ित परिवार और दिवंगत आत्माओं को न्याय नहीं मिल पाया। इस बात का हमें बहुत दुख है।
वहीं, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने एनएसयूआई के सचिव के साथ हुई चाकूबाजी की घटना पर नारायण चंदेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जब से कांग्रेस की सरकार बनी हम कहते आए हैं कि प्रदेश अपराध के गढ़ के रूप में परिवर्तित हुआ। गर्दन काटकर कोई 50 से 60 किलोमीटर तक ले जाए ऐसे मामले अपराधिक देशों में सुनने को मिले थे। छत्तीसगढ़ में इस तरह से रही घटनाओं से यहां की अपराध की श्रेणी का पता लगाया जा सकता है लगातार बढ़ रही घटनाओं से ऐसा लगता है कि छत्तीसगढ़ अपराधियों की शरण स्थली बन गई। वहीं नक्सलियों को लेकर बीजेपी नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज नक्सली ये साफ कह रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में हमारी सरकार चल रही है। नक्सलियों के हौसले राज्य शासन के संरक्षण में बढ़े हैं।
बता दें कि छत्तीसगढ़ ही नहीं देश में किसी भी राजनीतिक दल पर सबसे बड़ा हमला झीरम घाटी में किया गया। कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के काफिले में किए गए हमले में 27 नेताओं सहित कुल 32 लोगों की मौत हुई। इस बड़े नरसंहार के खूनी खेल में माओवादियों ने चुन-चुन कर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की हत्या की हत्या के तुरंत बाद इस मामले में कई सवाल उठे। जांच आयोग एनआईए की जांच के बाद भी नतीजा सिफर रहा आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला और अब 10 साल बीत गए हैं लेकिन इस घटनाक्रम के पीछे की असल वजह का खुलासा नहीं हो सका है।
10 साल पहले बारूदी विस्फोट में गोलियों की आहट, जंगलों में फैली आग और जगह-जगह चीख-पुकार बस्तर के लिए यह नई बात नहीं थी लेकिन जगह नहीं थी और इस बार माओवादियों का निशाना बिल्कुल अलग था जगह थी झीरम घाटी जहां एक बड़े एंबुश में माओवादियों ने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की चुन चुन कर हत्या कर दी। कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल उनके बेटे और पूर्व मंत्री विद्याचरण शुक्ल महेंद्र कर्मा उदय मुदलियार सहित कई दिग्गज कई नेताओं ने इस हमले में अपनी जान गवाई वह पुलिस जवान जो इन नेताओं की सुरक्षा में थे उनकी भी बेरहमी से हत्या की गई। कईयों को बंधक बनाया गया और गोलीबारी में कई नेताओं को बुरी तरह चोट लगी। इस बार निशाने पर भी लोग थे जो आम जनता नहीं बल्कि जनता की बुलंद आवाज से छत्तीसगढ़ी नहीं देश में इस तरह के राजनीतिक नरसंहार का यह पहला मामला था।