रायपुर। चार दिसंबर को वर्ष 2021 का अंतिम सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) सुबह 11 बजे से आरंभ होकर दोपहर तीन बजकर सात मिनट तक रहेगा। ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल प्रारंभ होगा। मगर, यह ग्रहण भारत दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां पर सूतक काल के विचार भी मान्य नहीं होगा। इंदौर के ज्योतिषाचार्य पं. गिरीश व्यास (pandit girish vyas indore) ने बताया कि चार दिसंबर शनिश्चरी अमावस्या के साथ-साथ खग्रास सूर्य ग्रहण का योग बनेगा। मगर, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देने की वजह से सूतक के नियम मान्य नहीं होंगे।
उन्होंने बताया कि सूतककाल में देवस्थानों के पट बंद कर दिए जाते हैं। इस समयावधि में भोजन करने की मनाही होती है। साथ ही गर्भवती महिलाओं को ग्रहण में बाहर न निकलने के लिए कहा जाता है। मगर, इस बार इन नियमों का पालन नहीं किया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अमृत मंथन के दौरान राहु-केतु का भेद खोलने की वजह से वे सूर्य और चंद्रमा से बदला लेते हैं, जिसकी वजह से सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की घटना होती है।
पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो जब पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर चन्द्रमा गुजरता है, तो पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण या आंशिक रूप से ढंका हुआ दिखता है, जिसे सूर्यग्रहण कहा जाता है। यह हमेशा अमावस्या के दिन होता है। वहीं, चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णमासी की रात को ही होता है।
इस महीने पड़ने वाले व्रत और त्योहार
इस माह में मलमास शुरु हो रहे हैं, जिसमें शादी-विवाह जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाएंगे। इस माह में शनिश्चरी अमावस्या, सूर्यग्रहण, रवि उत्तरायण, शिशिर ऋतु का प्रारंभ, पार्श्वनाथ जयंती, सरदार पटेल पुण्यतिथि, रामजानकी विवाह उत्सव भी मनाया जाएगा।