JAKARTA. इंडोनेशिया के लैम्पुंग प्रांत में अनक क्राकाटोआ ज्वालामुखी चार बार फट चुका है. इंडोनेशियाई अधिकारियों के मुताबिक इसका क्रेटर 2,500 मीटर की ऊंचाई तक राख उगल रहे हैं. ज्वालामुखी विज्ञान और भूवैज्ञानिक खतरा केंद्र ने बताया कि जावा और सुमात्रा द्वीपों के बीच स्थित सुंडा जलडमरूमध्य में ज्वालामुखी क्रमश: सुबह 04:12 बजे, सुबह 05:38 बजे, सुबह 07:43 बजे और दोपहर 12:21 बजे फटा. दिन का सबसे लंबा विस्फोट दो मिनट और 26 सेकंड तक चला.
लैम्पुंग सेलाटन रीजेंसी में अनक क्राकाटोआ मॉनिटरिंग पोस्ट के पीवीएमबीजी प्रमुख एंडी सुआर्दी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में क्राकाटोआ ज्वालामुखी की गतिविधियों में तेजी देखने में आई है. सोमवार रात को भी 10 बजकर 50 मिनट पर जब एक बार ज्वालामुखी फटा था तो वातावरण कोहरे से ढका हुआ था. सुआर्दी ने एक लिखित बयान में कहा, ज्वालामुखी की गतिविधि अभी भी अस्थिर है. हम अभी भी क्रेटर से निकलने वाले धुएं को देख सकते हैं. अनक क्राकाटोआ को लेकर अभी भी स्तर 3 अलर्ट जारी किया गया है. इसके साथ ही लोगों को क्रेटर से पांच किलोमीटर के दायरे में किसी भी प्रकार की गतिविधियां करने की अनुमति नहीं है.
अनक क्राकाटोआ का अर्थ है क्राकाताउ का बच्चा, जो पिछली शताब्दी की शुरुआत में समुद्र से उभरने के बाद से छिटपुट रूप से सक्रिय रहा है. ज्वालामुखी घनी आबादी वाले जावा द्वीप और सुमात्रा द्वीप से दूर स्थित है. हालांकि यह द्वीपों को जोड़ने वाली व्यस्त शिपिंग लाइन के पास है. करीब 357 मीटर ऊंचाई वाला यह ज्वालामुखी दुनिया के सबसे खतरनाक ज्वालामुखियों में से एक है.
1883 में क्राकाटोआ में हुआ विस्फोट दुनिया का सबसे भयावह ज्वालामुखी विस्फोट माना जाता है, जिसने 36 हजार से ज्यादा लोगों की जान ली थी. यह विस्फोट इतना भयानक था कि आधुनिक इतिहास में इतनी तबाही किसी और ज्वालामुखी ने नहीं मचाई. क्राकाटोआ के उस विस्फोट में पहले एटम बम से 13 हजार गुना ज्यादा ताकतवर था. यही बम अमेरिका ने 1945 में जापान के हिरोशिमा-नागासाकी पर गिराया था. 1883 के विस्फोट की गूंज वहां से करीब 4,800 किलोमीटर दूर मॉरीशस तक सुनाई दी.