AMBIKAPUR. सिंचाई विभाग में पदस्थ अमीन ने जिले के लखनपुर क्षेत्र से आए किसानों को 30 साल पुराने मुआवजा प्रकरण से संबंधित आम सूचना की कटिंग लाने का फरमान किसानों को सुना दिया. किसान भी अखबारों के दफ्तर-दर-दफ्तर खाक छानते रहे. अखबार वालों ने भी उनकी मदद की. लेकिन, जब पता चला कि मामला 30 साल पुराना है तो वे भी आश्चर्य में पड़ गए. आखिरकार एसडीएम ने किसानों को बुलाकर उनकी समस्याएं सुनी और उन्हें घर भेजा, साथ ही सिंचाई विभाग के कर्मचारी को फटकार लगाई और कहा कि अखबारों की कटिंग सहेजना उनका काम है, किसानों को अब परेशान किया तो उनकी खैर नहीं.
दरअसल, लखनपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत कुसु और उसके आश्रित गांव के किसानोंकी जमीन लगभग 30 से 35 वर्ष पूर्व बांध और नहर के लिए अधिग्रहित की गई थी. उनमें से 84 किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है. भू अर्जन से जुड़े प्रकरण की कुछ जानकारियां सार्वजनिक सूचना के रूप में नियमों के तहत अखबारों में प्रकाशित कराई गई थी. इसकी प्रति सुरक्षित रखने की जवाबदारी संबंधित विभाग की है, लेकिन विभागीय कर्मचारी,अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी छोड़कर भू-स्वामियों को ही अखबार की प्रति संग्रहित करने का जिम्मा दे दिया था.\
पिछले कुछ दिनों से ये किसान लगातार अंबिकापुर पहुंच रहे थे. वे यहां के अखबारों के कार्यालयों में जाते और उनके द्वारा 30 साल पहले बांध और नहर के लिए अधिग्रहित की गई जमीन को लेकर मुआवजा संबंधी प्रकाशित सूचना की कटिंग की मांग की जाती. शुरू में तो भू स्वामियों की परेशानियों को देखते हुए अखबार उपलब्ध भी कराया गया. इसे सामान्य प्रक्रिया मानकर पूरा सहयोग किया गया. लेकिन, जब जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि ये तो 30 से 35 साल पुराना मामला है. आखिरकार इसकी जानकारी एसडीएम अंबिकापुर शिवानी जायसवाल तक पहुंचाई गई. तब उन्होंने इसे गंभीरता से लिया.
अमीन को गांववाले कह रहे थे पटवारी
30 साल से भी ज्यादा पहले से बांध बन चुका है और नहरें निकाली जा चुकी हैं. लेकिन, 84 किसानों को अब तक इसमें मुआवजा नहीं मिला है. इन्हीं किसानों ने जलसंसाधन विभाग के अमीन से अपनी समस्या बताई तब उसने ऐसा फरमान जारी कर दिया. किसान अमीन को पटवारी बताते रहे. इससे लोगों को भी समझ नहीं आ रहा था. बाद में स्पष्ट हुआ कि जलसंसाधन विभाग का अमीन ही उन्हें टरकाने के लिए ऐसा तुगलकी फरमान जारी कर रहा था.