INDORE NEWS. मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर कांग्रेस देशभर में विरोध और रैलियां कर रही है। मगर, खुद पार्टी संगठन इस मुद्दे पर गंभीर नहीं दिख रहा। मध्य प्रदेश में स्थिति यह है कि 230 विधानसभा क्षेत्रों में से केवल 37 सीटों पर ही बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) नियुक्त किए जा सके हैं। बाकी 193 क्षेत्रों में अभी तक कोई एजेंट नहीं बना है।
पार्टी नेतृत्व भले ही वोटर लिस्ट में कथित गड़बड़ियों को लेकर केंद्र और चुनाव आयोग पर हमला कर रहा हो। मगर, संगठन की तैयारी जमीन पर बेहद कमजोर है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा मतदाता सूची में अनियमितता रोकने पर दिए गए निर्देशों के बावजूद अधिकांश जिलों में काम अधूरा पड़ा है।

इस मामले में भाजपा निकली आगे
प्रदेश कांग्रेस ने अब जिला प्रभारियों को आठ नवंबर तक हर हाल में बीएलए नियुक्त कर सूची भेजने के आदेश दिए हैं। यह इसलिए जरूरी है ताकि उनके प्रशिक्षण के बाद उन्हें मतदाता सूची सुधार कार्य में लगाया जा सके। भाजपा ने इस मामले में कांग्रेस से आगे निकल चुकी है और अधिकांश बूथों पर अपने एजेंट तैनात कर चुनाव आयोग को सूची भेज भी दी है। गौरतलब है कि एसआईआर के तहत चार नवंबर से घर-घर मतदाता सर्वे शुरू हो गया है, जो चार दिसंबर तक चलेगा।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के गृह जिले में भी अधूरी तैयारी
तीन माह से संगठन महामंत्री संजय कामले इस संबंध में निर्देश जारी कर रहे हैं। मगर, अभी तक छिंदवाड़ा, ग्वालियर, खरगोन, छतरपुर और नर्मदापुरम जिलों में बीएलए की नियुक्ति ही हुई है। आलम यह है कि पार्टी अध्यक्ष जीतू पटवारी के गृह जिला इंदौर में नियुक्तियां अभी अधूरी हैं। भोपाल में भी केवल मध्य क्षेत्र की आंशिक सूची ही भेजी गई है।

पचमढ़ी में शुरू हुआ प्रशिक्षण
रविवार से नर्मदापुरम जिले के पचमढ़ी में जिला अध्यक्षों का 10 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण शुरू हुआ है, जहां पार्टी संगठन ने आग्रह किया कि 8 नवंबर तक बीएलए नियुक्तियों की प्रक्रिया पूरी की जाए। चुनाव आयोग ने इस बार बीएलए की फोटो सहित सूची मांगी है, जिससे उनकी पहचान सुनिश्चित की जा सके।

नाम का है ‘वोट चोर-गद्दी छोड़’ अभियान
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिकस्त के बाद कांग्रेस ने मतदाता सूची में गड़बड़ियों को लेकर देशभर में आंदोलन शुरू किया था। राहुल गांधी ने “वोट चोर-गद्दी छोड़” अभियान चलाया। बिहार, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में इसका विस्तार किया। प्रदेश कांग्रेस ने प्रभारी अधिकारियों को प्रशिक्षण देकर पूरी तैयारी दिखाई, लेकिन बीएलए नियुक्त न होने से यह अभियान भी नाम का ही है। जमीनी स्तर पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है।




































